मेरी आत्मकथा में राजस्थान विधानसभा से जुड़े अनुभव का जिक्र करना छूट गया: आडवाणी

मेरी आत्मकथा में राजस्थान विधानसभा से जुड़े अनुभव का जिक्र करना छूट गया: आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी

जयपुर:

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उन्हें अपनी आत्मकथा ‘माई कंट्री, माई लाईफ’ में अपने राजनीतिक दौर के राजस्थान की विधानसभा के संबंध में अपने अनुभव का जिक्र करना छूट गया है.

आडवाणी जयपुर में सुंदर सिंह भंडारी ट्रस्ट उदयपुर की ओर से पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरो सिंह शेखावत की जंयती के अवसर पर राजस्थान विधानसभा के वरिष्ठ विधायकों के सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे.

पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अपनी आत्मकथा ‘माई कंट्री, माई लाईफ’ में करांची में अपने स्कूल के दिनों, अपने अनुभव और भारत के बारे में लिखा, लेकिन इसमें जीवन के उस हिस्से को शामिल नहीं कर पाया जो राजस्थान विधानसभा से जुडे हुए थे. लोकतंत्र में मेरी भूमिका के बारे में लिखा लेकिन जो भूमिका राजस्थान विधानसभा के संबंध में निभाई है वह पूरी बात लिखता तो मन को और संतुष्टि होती.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज जब मैं यहां चुने हुए विधायकों के वर्णन सुन रहा हूं तब लग रहा है कि आत्मकथा में राजस्थान विधानसभा के बारे में मेरा अनुभव को शामिल नहीं करना मेरी पुस्तक में एक कमी है.’’ 

आडवाणी ने कहा, ‘‘मैंने कई विधानसभाओं को देखा, लोक सभा का सदस्य चुना गया, हिन्दुस्तान के लोकतंत्र को ताकत दे रहा हूं और इसकी सफलता में मजबूत ईंट लगा रहा हूं और आज मुझे बहुत खुशी होती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राजस्थान की विधानसभा देश में प्रमुख स्थान रखती है जिससे मैं शुरू से ही जुडा रहा हूं. मेरा शुरू से भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत से पुराना नाता रहा और वे बडे सम्माननीय थे.’’ आडवाणी ने कहा कि वे राजस्थान की विधानसभा के सदस्यों द्वारा किये गये निर्णयों के उदाहरण दिया करते हैं.

आडवाणी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा की असाधारण उपलब्धियां है. इसलिए यह अन्य राज्यों की विधानसभाओं से विशिष्ठ है. विधानसभा का आठ से दस बार चुनाव जीतना सौभाग्य की बात होती है और यह लोकतंत्र की ताकत है.


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