मराठी काव्य संग्रह के हिन्दी अनुवाद 'सलाल और सलाल के बाद' का लोकार्पण

मराठी काव्य संग्रह के हिन्दी अनुवाद 'सलाल और सलाल के बाद' का लोकार्पण

नई दिल्ली:

मराठी के लब्ध प्रतिष्ठित कवि श्रीपाद भालचंद्र जोशी के काव्य संग्रह के हिन्दी अनुवाद का लोकार्पण किया गया. अपनी किताब के हिन्दी अनुवाद का लोकार्पण स्वयं इस किताब के मूल लेखक ने किया. साहित्य अकादेमी में श्रीपाद भालचंद्र जोशी की किताब 'सलाल और सलाल के बाद' का लोकार्पण स्वयं लेखक ने किया. मूलत: मराठी के काव्य संग्रह का हिन्दी अनुवाद निशिकांत मिरजकर ने किया है.

इस मौके पर ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा कि जोशी और मुक्तिबोध के रचना संसार में एक अदभुत समानता देखने को मिलती है. दोनों ही लेखक साम्राज्यवादियों के खिलाफ हैं और अंधेरे की बात करते हैं. दोनों के साहित्य में मध्यम वर्ग का अदभुत साम्य देखने को मिलता है.

कवि भरत भारद्वाज ने कहा कि साहित्य, भाषा और फिल्म हर व्यक्ति का माध्यम है और भावनाओं की अनुभूति का अनुवाद करना बेहद जटिल कार्य है. कविता का आकाश और संवेदना का धरातल बहुत बड़ा होता है. अनुवाद ऐसा होना चाहिए जो पुन: सृजन लगे, लेकिन लेखक की सोच से इतर नहीं होना चाहिए. इस मौके पर कई विचारक, लेखक, कवि और अनुवादक मौजूद थे.


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