'डिजिटल दौर में भी खत्‍म नहीं होगी किताबों की प्रासंगिकता'

'डिजिटल दौर में भी खत्‍म नहीं होगी किताबों की प्रासंगिकता'

नई दिल्‍ली:

केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेंन्द्र नाथ पांडेय ने कहा कि किताबों की प्रासंगिकता डिजिटल दौर में भी खत्म नहीं होगी और प्रिंट तथा ऑनलाइन डोमेन के बीच एक संतुलन होना चाहिए. दिल्‍ली में संपन्न एक समारोह में देश-विदेश के मुख्य प्रकाशकों के प्रमुखों एवं वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारियों को संबोधित कर रहे पांडेय ने भारतीय प्रकाशकों से कहा कि वे क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षण दें.

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन दौर महत्वपूर्ण है जिसने लोगों तक पहुंच बढ़ाई है और पारदर्शिता लाने में भी योगदान दिया है. हमारे प्रधानमंत्री खुद डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दे रहे हैं. लेकिन हमें यह पता होना चाहिए कि किताबों की प्रासंगिकता कभी भी खत्म नहीं होगी.

पांडेय ने कहा कि हमारा इतिहास वेदों का दौर बताता है और प्राचीन पाठ्य सामग्री की (पांडुलिपियों की) रचना भोजपत्रों पर हुई है. इसलिए हमें डिजिटल दौर से आगे चल कर प्रिंट एवं डिजिटल डोमेन के बीच संतुलन बनाना चाहिए.

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में फिक्की और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने 'सीईओ स्पीक ओवर चेयरमेन्स ब्रेकफास्ट' के पांचवे सत्र का आयोजन किया, जिसमें शरजाह बुक अथॉरिटी, इटालियन एम्बेसी कल्चरल सेंटर सहित अन्य के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस वर्ष आयोजन की थीम 'द आयडिया एंड बिजनेस ऑफ क्रिएटिंग कल्चर ऑफ रीडिंग : एक्सपीरियन्स एंड चैलेन्जेस एक्रॉस सोसायटीज' है.

पांडेय ने कहा कि अंग्रेजी संचार के लिए अच्छी अंतरराष्ट्रीय भाषा है लेकिन प्रकाशकों को चाहिए कि वह हमारी क्षेत्रीय भाषाओं का भी संरक्षण करें. भारत में भाषायी विविधता है और हमारी कई भाषाओं की अपनी लिपियां हैं. इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं में हो रहे काम को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए.


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