ऑल-राउंडर बहुत हैं दुनिया में, लेकिन कपिल-युवराज जैसा कोई नहीं...

ऑल-राउंडर बहुत हैं दुनिया में, लेकिन कपिल-युवराज जैसा कोई नहीं...

नई दिल्ली:

क्रिकेट के इतिहास में आमतौर पर बल्लेबाजों को ज़्यादा याद रखा जाता रहा है, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब वेस्ट इंडीज़ के तेज़ गेंदबाजों का खौफ दुनियाभर के बल्लेबाजों के चेहरों पर साफ दिखाई देता था, और उनकी तूती इस तरह बोला करती थी कि उनके खिलाफ वर्ष 1983 के वर्ल्ड कप में भारत का जीतना किसी चमत्कार-सरीखा माना गया था... विश्लेषकों के मुताबिक, कपिल देव (Kapil Dev) की कप्तानी में भारतीय टीम को वह जीत इस वजह से हासिल हो पाई थी, क्योंकि हमारी टीम में कई ऑल-राउंडर मौजूद थे, जो बल्ले के साथ-साथ ज़रूरत पड़ने पर गेंद से भी अपनी टीम को योगदान दे पाते थे... आज भी टीम इंडिया के हार्दिक पांड्या को बेहद पसंद किया जाने लगा है, क्योंकि वह बल्ले के साथ-साथ गेंद से भी शानदार प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं...
 


सो, ऑल-राउंडर, यानी हरफनमौला खिलाड़ियों की कीमत हमेशा काफी ज़्यादा रहती है, बशर्ते वह दोनों ही डिपार्टमेंट में वास्तव में अच्छा हो... दुनिया के बेहतरीन ऑल-राउंडरों में सर रिचर्ड हेडली - न्यूज़ीलैंड (Sir Richard Hadlee - New Zealand), इमरान खान - पाकिस्तान (Imran Khan - Pakistan), इयान बॉथम - इंग्लैंड (Ian Botham - England), शॉन पोलॉक - दक्षिण अफ्रीका (Shaun Pollock - South Africa), वसीम अकरम - पाकिस्तान (Wasim Akram - Pakistan) तथा जैक कालिस - दक्षिण अफ्रीका (Jacques Kallis - South Africa) के साथ-साथ भारतीय कपिल देव का भी नाम सम्मान के साथ लिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कपिल देव के अलावा कोई भी खिलाड़ी ऐसा नहीं रहा, जिसने एक ही वर्ल्ड कप में 250 या उससे ज़्यादा रन बनाए हों, और साथ ही 10 से उससे ज़्यादा विकेट भी झटके हों...

अब सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि एक ही वर्ल्ड कप में 250 या ज़्यादा रन और 10 से ज़्यादा विकेट लेने वाले दुनियाभर में आज तक कुल पांच खिलाड़ी हैं, जिनमें कपिल देव के अलावा एक और भारतीय खिलाड़ी - युवराज सिंह (Yuvraj Singh) - शामिल है, जबकि बाकी तीन खिलाड़ी नील जॉनसन - ज़िम्बाब्वे (Neil Johnson - Zimbabwe), सनत जयसूर्या - श्रीलंका (Sanath Jayasuriya - Sri Lanka) तथा लांस क्लूसनर - दक्षिण अफ्रीका (Lance Klusener - South Africa) हैं... (चार्ट देखें समाचार के अंत में)

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कपिल देव ने यह कारनामा सबसे पहले 1983 में कर दिखाया था, जब उन्होंने प्रूडेन्शियल वर्ल्ड कप में खेले आठ मैचों में 175* के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 60.6 की औसत से कुल 303 रन बनाए, और सात कैच लपकने के अलावा 12 विकेट भी लिए... इसके बाद हुए तीन वर्ल्ड कप - 1987, 1992, 1996 - में यह कारनामा कोई भी नहीं कर पाया, लेकिन 1999 में दो-दो खिलाड़ियों ने यह शानदार उपलब्धि हासिल की...
 


इंग्लैंड, आयरलैंड, हॉलैंड और स्कॉटलैंड में खेले गए वर्ष 1999 के वर्ल्ड कप में ज़िम्बाब्वे के नील जॉनसन ने आठ ही मैचों में 132* के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 52.42 की औसत से कुल 367 रन बनाए, और एक कैच लपकने के अलावा 12 विकेट लिए...
 

नील के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीकी हरफनमौला खिलाड़ी लांस क्लूसनर ने भी नौ मैचों में 52* के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 140.5 की अविश्वसनीय औसत से कुल 281 रन बनाए, और एक कैच लपकने के अलावा 17 विपक्षी खिलाड़ियों को पैवेलियन लौटाया...
 

इसके बाद केन्या, दक्षिण अफ्रीका और ज़िम्बाब्वे में वर्ष 2003 में खेले गए अगले ही वर्ल्ड कप के दौरान श्रीलंकाई धुरंधर सनत जयसूर्या ने 10 मैचों में 120 के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 40.12 की औसत से कुल 321 रन बनाए, और पांच कैच लपकने के अलावा 10 विकेट भी चटकाए...

ऐसा शानदार ऑल-राउंड प्रदर्शन करने वाले अब तक के आखिरी खिलाड़ी युवराज सिंह रहे हैं, जिन्होंने वर्ष 2011 में बांग्लादेश, श्रीलंका और भारत में खेले गए वर्ल्ड कप के दौरान कुल नौ मैचों में 113 के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 90.5 की औसत से कुल 362 रन बनाए, और तीन कैच लपकने के अलावा 15 विकेट लिए, और 'मैन ऑफ द सीरीज़' पुरस्कार भी जीता...

अब इस आलेख के शीर्षक को सार्थक करने वाली जानकारी सारे आंकड़े देखने के बाद आप अब तक समझ ही चुके होंगे, कि इन आंकड़ों का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि जब भी किसी भारतीय ने ऐसा शानदार हरफनमौला प्रदर्शन किया, टीम इंडिया ने ही वर्ल्ड कप जीता, जबकि सूची में दर्ज बाकी तीनों खिलाड़ी उतने भाग्यशाली नहीं रहे, और उनका हरफनमौला खेल उनकी टीम को खिताब नहीं जिता पाया...

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बोनस जानकारी : वैसे, चलते-चलते एक बेहद दिलचस्प जानकारी और... हमेशा दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज के रूप में देखे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी यही कारनामा कर दिखाया था, लेकिन वर्ल्ड कप में नहीं, एशिया कप में... वर्ष 2004 के संस्करण में सचिन ने छह मैचों में कुल 82* के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 56.2 की औसत से कुल 281 रन बनाए थे, और एक कैच लपकने के अलावा 12 विकेट भी लिए थे...
 

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