यह ख़बर 26 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

अन्ना ने फिर लिखा मनमोहन को खत...

खास बातें

  • अन्ना हजारे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखकर उनके आंदोलन को सम्मान देने के लिए संसद का आभार व्यक्त किया है।
नई दिल्ली:

अन्ना हजारे ने शुक्रवार, 26 अगस्त, 2011 को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को जो खत लिखा है, वह इस प्रकार है... आदरणीय डॉ. मनमोहन सिंह जी, मैं आपका और संसद का बहुत आभार मानता हूं कि आप सबने हमारे आंदोलन का सम्मान किया। हमारे मन में हमारी संसद के प्रति अपार सम्मान है। हमारी संसद हमारे जनतंत्र का पवित्र मंदिर है। मैं अनशन पर अपने किसी स्वार्थ के लिए नहीं बैठा। जिस तरह आप लोग देश की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, मैं भी देश के लोगों के बारे में ही सोचता हूं। मेरे पास किसी प्रकार की कोई सत्ता नहीं है। मैं बस एक सामान्य आदमी हूं और समाज व गरीब जनता के लिए कुछ करने की भावना रखता हूं। हमारा यह आंदोलन किसी व्यक्ति या पार्टी के खिलाफ नहीं है। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। भ्रष्ट व्यवस्था को बदलना चाहते हैं। यदि हमारे आंदोलन के दौरान मेरे अथवा मेरे साथियों के द्वारा कुछ ऐसे शब्द कहे गए हों, जिससे आपको अथवा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंची हो तो मैं सबकी तरफ से दिलगीर व्यक्त करता हूं। किसी को भी आहत करना हमारा मकसद नहीं है। भ्रष्टाचार की वजह से देश में आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। दुनियाभर में हमारे देश की बदनामी हो रही है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस पर रोक लगेगी। इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। नियम, कायदे, कानून जनता के लिए हैं, जनता के ऊपर नहीं हैं। यदि भ्रष्टाचार को तुरंत रोकने के लिए हमें तुरंत कुछ नए कायदे बनाने पड़े या कुछ कानून बदलने भी पड़ें तो हमें हिचकना नहीं चाहिए। एक आम आदमी जब भ्रष्टाचार की वजह से पिसता है तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। आम आदमी को पीस रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जनलोकपाल बिल में तीन प्रावधान हैं - - हर राज्य में इसी कानून के ज़रिए लोकायुक्त भी बनाए जाएं। - हर विभाग जन समस्याओं के लिए नागरिक संहिता बनाए, जिसे न मानने पर संबद्ध अधिकारी को दंड मिले। - ऊपर से नीचे तक केन्द्र सरकार के सभी कर्मचारी लोकपाल के दायरे में लाए जाएं और इसी तरह राज्य सरकार के कर्मचारी लोकपाल के दायरे में हों। क्या इन तीनों बातों का प्रस्ताव संसद में लाया जा सकता है? मुझे उम्मीद ही नहीं, यकीन है कि हमारे सभी सांसद देश की जनता को रोज-रोज के भ्रष्टाचार की जिल्लत से निजात दिलाने के लिए, शुरू में, इन तीनों बातों पर सहमत हो जाएंगे। मेरी अंतरात्मा कहती है कि इन बातों पर संसद में सहमति होने पर मैं अपना अनशन तोड़ दूं। जनलोकपाल की बाकी बातें, जैसे चयन प्रक्रिया इत्यादि, भी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मैं मेरी जनता के साथ तब तक रामलीला मैदान में बैठा रहूंगा, जब तक बाकी मुद्दों पर संसद में निर्णय नहीं हो जाता, क्योंकि यह जनता की आवाज है। भ्रष्टाचार के खिलाफ देश भर में चल रहे इस आंदोलन में भाग लेने के लिए मैं आपका और सभी सांसदों का आवाह्न करता हूं। यह सभी का देश है और हम सभी को मिलकर इसे सुधारना होगा। भवदीय कि. बा. तथा अण्णा हज़ारे


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