पापा को यकीन नहीं हुआ कि मेरी 1 करोड़ रु. की नौकरी लगी है : बिहार वेल्डर का बेटा

पापा को यकीन नहीं हुआ कि मेरी 1 करोड़ रु. की नौकरी लगी है : बिहार वेल्डर का बेटा

वातसल्य सिंह चौहान

खड़गपुर:

21 साल के वात्सल्य सिंह चौहान की नौकरी जब सालाना 1.02 करोड़ रुपए पर अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में लगी तो उनके परिवार वालों को पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। चौहान के पिता बिहार के खगड़िया में वेल्डिंग का काम करते हैं और अपने बेटे को आईआईटी खड़गपुर भेजने के लिए उन्होंने लोन लिया था। वात्सल्य अपने पिता चंद्रकांत सिंह के बारे में बात करते हुए कहते हैं पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। फिर जब उन्हें पता चला कि खबर पक्की है तो कुछ समय तक तो वह कुछ बोल ही नहीं पाए।

आर्थिक तंगी आड़े नहीं आई
अपनी पढ़ाई की बात करते हुए वात्‍सल्य कहते हैं कि उनकी ज्यादातर शिक्षा स्कॉलरशिप के ज़रिए ही हुई है लेकिन उनके पिता ने कभी पढ़ाई के बीच उनकी आर्थिक तंगी को नहीं आने दिया। एनडीटीवी से बातचीत के दौरान चौहान ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी पाने के लिए पांच राउंड हुए थे जो उन्हें 'मुश्किल' नहीं लगे लेकिन उन्हें ज्यादा उम्मीदें भी नहीं थी। कोड राइटिंग टेस्ट, लिखित परीक्षा और फिर इंटरव्यू के तीन राउंड पूरा करने वाले वातसल्य ने कहा कंपनी उनके इंटरव्यू से काफी प्रभावित थी।

वात्‍सल्य ने बताया कि उन्होंने दसवीं की पढ़ाई खगड़िया से ही पूरी की थी और उन्हें पता भी नहीं था कि यह आईआईटी आखिर कहां हैं। 2009 में आईआईटी में प्रवेश नहीं पाने के बाद उन्होंने कोटा, राजस्थान में कोचिंग क्लास लेनी शुरू की थी। वात्‍सल्य के पिता की मानें तो वहां के शिक्षकों ने आश्वासन दिया था कि उनके बेटे के खर्चे का वह ख्याल रखेंगे। उन्होंने बताया 'तीन शिक्षकों ने इसके टैलेंट को समझा और इसका सारा खर्चा उठाया। मुझे सिर्फ ट्रेन की टिकट का खर्चा उठाना पड़ता था। कोटा में जब मैं बेटे से मिलने जाता था तो हमें ऐसा खाना मिलता था जो हम घर में खाने के बारे में नहीं सोच सकता था।'

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

वात्‍सल्य के पिता चंद्रकांत सिंह के पांच बच्चे और हैं और अब उन्होंने अपनी एक बेटी को कोटा में मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए भेजा है।