यह ख़बर 18 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

चैपल की मौजूदगी से ऑस्ट्रेलिया को फायदा नहीं : गांगुली

खास बातें

  • सौरव गांगुली को लगता है कि भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए ग्रेग चैपल की ऑस्ट्रेलियाई ड्रेसिंग रूम में उपस्थिति का मेजबान टीम को ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा।
New Delhi:

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को लगता है कि भारतीय बल्लेबाजों के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए ग्रेग चैपल की ऑस्ट्रेलियाई ड्रेसिंग रूम में उपस्थिति का मेजबान टीम को ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा। दो दिन पहले 'डेली टेलीग्राफ' में रिपोर्ट आई थी कि सचिन तेंदुलकर को कैसे रन बनाने से रोका जाए, इस पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को संबोधित करने के लिए वर्तमान कोच मिकी आर्थर ने पूर्व भारतीय कोच चैपल को बुलाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चैपल अगले सप्ताह पहले टेस्ट टीम की ऑस्ट्रेलियाई टीम को संबोधित करेंगे। वह एक ऐसे व्यक्ति है जो चैंपियन (तेंदुलकर) के रहस्य को जानते हैं। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के लिए तेंदुलकर मास्टर हैं, जो कभी उनकी कमजोरी नहीं जान पाए। गांगुली के अनुसार इससे पहले 2008 में चैपल ऑस्ट्रेलियाई सहयोगी स्टाफ में थे, लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिली थी। उन्होंने कहा, यदि आप 2008 की शृंखला पर गौर करो जो कि मेरी आखिरी शृंखला थी, तो चैपल ऑस्ट्रेलियाई सहयोगी स्टाफ में थे। तब भी हमने 2-0 से शृंखला जीती थी। इसलिए मुझे नहीं लगता कि उनकी उपस्थिति से इस बार भी कोई अंतर पैदा होगा। गांगुली ने इसके साथ ही चैपल के भारतीय कोच के रूप में कार्यकाल की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, वह कुछ निजी उद्देश्य के साथ आए थे। वह नहीं चाहते थे कि ड्रेसिंग रूम में शांति रहे। वह गलती पर गलती करते रहे, लेकिन तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ में इतना साहस नहीं था कि वह उन्हें (चैपल) गलत करने से रोक सकें। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि चैपल को कोच पद सौंपना गलती थी। उन्होंने कहा, वह तेंदुलकर, लक्ष्मण, जहीर, हरभजन के खिलाफ थे और इन सभी ने साबित किया कि वे विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं। वे अब भी अपने देश के लिए अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। गांगुली से जब पूछा गया कि क्या तब बीसीसीआई को अधिक सोच समझकर काम लेना चाहिए था, उन्होंने कहा, तब बीसीसीआई बदलाव चाहता था और वह ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था। एक अन्य पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने कहा कि चैपल का ऑस्ट्रेलियाई तरीका भारतीयों के अनुकूल नहीं था। उन्होंने कहा, भारत में हम किसी के लिए पूरी तरह से दरवाजा बंद नहीं करते। सीनियर खिलाड़ियों के साथ आपको आदर के साथ काम करना पड़ता है। गैरी कर्स्टन को देखो, उन्होंने भारतीय टीम के साथ शानदार भूमिका निभाई।


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