यह ख़बर 21 अप्रैल, 2014 को प्रकाशित हुई थी

खाप का ऐतिहासिक फैसला, 42 गांवों को दी आपस में ब्याह करने की इजाजत

हिसार:

हिसार जिले के नारनौंद कस्बे में रविवार को सतरोल खाप ने करीब 650 वर्षों से चली आ रही परम्परा को पलटते हुए शादी के बंधन को खाप की सीमाओं व जातीय जंजीरों से मुक्त कर दिया।

नारनौंद कस्बे के देवराज धर्मशाला में आयोजित महापंचायत में खाप चौधरियों ने एक सुर में ऐलान किया कि अब सतरोल खाप के 42 गांवों के लोग अपनी संतानों के रिश्ते कर सकेंगे।

इसके साथ ही जातीय जंजीरों को तोड़ते हुए फैसला लिया गया कि कोई भी युवक व युवती अपनी जाति से बाहर भी अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। शर्त केवल यह रखी गई है कि ऐसे अंतरजातीय विवाह खुद के गांव, गोत्र व पड़ोसी गांव को छोड़कर हों। इसके बाद खाप पंचायत को कोई ऐतराज नहीं होगा, बल्कि अंतरजातीय विवाह का यह खाप जोरदार स्वागत करेगी।

महापंचायत की अध्यक्षता करने वाले सतरोल खाप के प्रधान सूबेदार इन्द्र सिंह ने कहा कि इस फैसले का मकसद सतरोल खाप के भाईचारे को तोड़ना नहीं बल्कि रिश्ते-नातों के बंधन को खोलना है।

महापंचायत में वजीर मान राजथल ने कहा कि समय को देखते हुए रिश्ते-नाते के बंधन को खोल देना चाहिए। इससे सतरोल खाप का भाईचारा खत्म नहीं होगा बल्कि रिश्तेदारी होने के बाद खाप को और ज्यादा मजबूती मिलेगी।

बसाऊराम नारनौंद ने कहा कि हमें रिश्ते-नाते करने में काफी परेशानी आ रही है क्योंकि सतरोल खाप का दायरा काफी बड़ा है और इसे रिश्ते-नाते के हिसाब से छोटा कर देना चाहिए ताकि वह अपने बच्चों के रिश्ते नजदीक के दायरे में कर सकें।

उन्होंने कहा कि लड़कियों की संख्या बहुत कम हो गई है जिसकी वजह से हमें अपने बच्चों के रिश्ते के लिए दूर-दराज भटकना पड़ता है। अब समय आ गया है कि इस वष्रो पुरानी परम्परा को बदल देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि समय के अनुसार खाप ने अपने नियमों में पहले भी बदलाव किए हैं और अब भी समय की मांग को देखते हुए बदलने चाहिए।

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महापंचायत में सभी लोगों की रायशुमारी कर पांच लोगों की एक समिति बनाई गई, जिसमें उगालन तपा से जिले सिंह, नारनौंद तपा से होशियार सिंह, बास तपा से हंसराज और कैप्टन महाबीर सिंह व सतरोल खाप के प्रधान सुबेदार इन्द्र सिंह को शामिल कर निर्णय लिया गया। इस समिति ने फैसला लिया कि आज से सतरोल खाप के लोग आपस में रिश्तेदारी कर सकेंगें। लेकिन महापंचायत के इस ऐतिहासिक फैसले का विरोध भी हुआ। करीब 650 साल पुरानी परपंरा को तोड़ने के विरोध में पेटवाड़ तपा के लोगों ने अपने विचार रखे और कहा कि खाप का मतलब ही आपसी भाईचारा होता है। इसमें रिश्तेदारी नहीं हो सकती है। जब आपस में रिश्तेदारी होने लगेगी तो फिर भाईचारा कहां बचता है। इसका कड़ा विरोध करते हुए तपा की अगुवाई कर रहे लोगों ने महापंचायत का बहिष्कार करने का निर्णय किया और महापंचायत से उठकर चले गए।