6,000 कैमरों की नज़र में मुंबई!

प्रतीकात्मक चित्र

मुंबई:

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे के दौरान दिल्ली में रातों रात 15,000 सीसीटीवी कैमरे लग गए, लेकिन मुंबई में 6,000 सीसीटीवी लगाने के लिए जरूरी टेंडर पास होने में ही 6 साल लग गए।

26/11 आतंकी हमले के बाद से ही मुंबई की सुरक्षा के लिए शहर में भर में सीसीटीवी लगाने की मांग उठी थी। हमले के बाद खामियों को खोजने के लिए बनाई गई राम प्रधान कमेटी ने भी सीसीटीवी को जरूरी बताया था। लेकिन 6 साल बाद अब जाकर योजना साकार होने की उम्मीद बनी है।

वैसे 2012 और 2013 में भी टेंडर निकाले गए थे, लेकिन कभी कसौटी पर खरा न उतरने, तो कभी बैंक गारंटी न देने पाने की वजह से बात बन नहीं पाई थी। महाराष्ट्र गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव केपी बख्शी के मुताबिक आखिरकार इस बार एल एंड टी कंपनी को शहर भर में 6,000 सीसीटीवी लगाने के लिए 949 करोड का टेंडर दे दिया गया है। और जरूरी बैंक गारंटी और बाकी औपचारिकताएं पूरा करने के बाद 92 सप्ताह के भीतर उन्हें अलग- अलग चरण मे सभी कैमरे लगाने होगें।

सीसीटीवी कैमरों के तकनीकी पक्ष को देखने वाले गृह सचिव विनीत अग्रवाल ने बताया कि कैमरे लगाने के लिए शहर को कुल 5 जोन में बांटा जाएगा। मुंबई पुलिस मुख्यालय, वर्ली ट्रैफिक मुख्यालय और कलीना में कुल तीन कंट्रोल रुम होगें। जहां 7 दिन से लेकर एक महीने तक का डाटा स्टोर किया जाएगा, योजना शहर के सभी पुलिस थानों को भी इस नेटवर्क से जोड़ने की है, ताकि वे अपने इलाकों में निगरानी रख सकें।

इसके लिए हाई रिजोलूशन के कैमरे लिए जाएंगें और उसमें पिक्चर इंटेलिजेंट यूनिट होगी, जिसमें वाहन डाटा, सारथी डाटा और जेल डाटा फीड कर एक कांप्रेहेंसिंव सेक्युरिटी प्लान बनाया जाएगा। अच्छी बात यह है कि 949 करोड़ रुपये के इस टेंडर में पांच साल का रख-रखाव का भी कांट्रैक्ट है, वरना मैनपावर और मेंटनेंस के अभाव में करोड़ों खर्च कर लाई गई स्पीड बोट, एम्फीबियस बोट और बम स्कैनर का हाल सभी को पता है। 6,000 कैमरों की मॉनिटरिंग भी एक बड़ी चुनौती है।


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