सुलझ गया बुध के ‘अंधेरे’ के पीछे का रहस्य

सुलझ गया बुध के ‘अंधेरे’ के पीछे का रहस्य

फाइल फोटो

वॉशिंगटन:

हमारे सौरमंडल के सबसे अंदरुनी ग्रह के अंधकारमय दिखने की गुत्थी अब सुलझ गई है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बुध ग्रह अपनी सतह की गहराई में पैदा होने वाले कार्बन की अधिकता के कारण अंधेरे से भरा हुआ दिखता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह ग्रह चंद्रमा की तुलना में कम मात्रा में सूर्य का प्रकाश परावर्तित करता है। चंद्रमा की सतह पर अंधकार वहां पाए जाने वाले लौह-प्रचुर खनिजों की अधिकता से नियंत्रित होता है। ऐसे खनिज बुध की सतह पर दुर्लभ हैं।

पहले वैज्ञानिकों ने कहा था कि बुध पर अंधकार उस कार्बन की वजह से हो सकता है, जो आंतरिक सौरमंडल में यात्रा करने वाले धूमकेतुओं के चलते धीरे-धीरे एकत्र हो गया होगा।

अमेरिका की जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के पेट्रिक पेप्लोस्की के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि बुध की सतह पर कार्बन अत्यधिक मात्रा में है। उन्होंने यह भी पाया है कि यह कार्बन धूमकेतुओं से एकत्र होने के बजाय ग्रह की सतह की गहराई में पैदा हुआ लगता है।

शोधकर्ताओं ने यह डाटा नासा के मैसेंजर मरकरी सरफेस, स्पेस एनवायरमेंट, जियोकेमिस्ट्री एंड रेंजिंग: नामक अंतरिक्ष यान से हासिल किया है। यह बुध की कक्षा में भेजा गया पहला अंतरिक्ष अभियान है।

मैसेंजर अभियान के उप प्रमुख जांचकर्ता और कार्नेगी इंस्टीट्यूशन ऑफ वॉशिंगटन में कार्यरत लेरी निटलर ने कहा ‘‘हमने कार्बन का वितरण समझने के लिए मैसेंजर के न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर की मदद ली और पाया कि यह बुध पर सबसे गहरे रंग पदार्थ से संबद्ध है और यह पदार्थ इसकी सतह की गहराई में पैदा होता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने न्यूट्रॉनों और एक्स किरणों का इस्तेमाल करके यह पुष्टि की कि यह गहरे रंग का पदार्थ लौह युक्त नहीं है। चांद पर लौह तत्वों से प्रचुर पदार्थ सतह को गहरे रंग का करते हैं।’’ यह अध्ययन नेचर जियोसाइंस नामक जरनलमें प्रकाशित हुआ है।

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)