यह ख़बर 11 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

राहुल की कलावती, मोदी की जसुबेन के बाद शिवराज के सुंदर नाई...

खास बातें

  • कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कलावती, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जसुबेन के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुंदर नाई के जरिये राज्य में आ रहे बदलाव की कहानी सुनाई है।
भोपाल:

राजनेताओं के लिए विकास का प्रमाण देने और लोगों के दिलों तक पहुंचाने का कारगर हथियार अब कई 'किरदार' बनते जा रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कलावती, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जसुबेन के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुंदर नाई के जरिये राज्य में आ रहे बदलाव की कहानी सुनाई है।
 
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को सागर जिले के केसली विकास खंड में थे, जहां उन्होंने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए राज्य में चल रही कोशिशों का जिक्र किया और युवाओं को भरोसा दिलाया कि सरकार उन्हें आर्थिक अनुदान भी देगी।

चौहान ने गांव हाट में पारंपरिक कारोबार को भी प्रोत्साहित करने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण हाट बनेगी, जहां प्रेस करने वालों, बढ़ई, कुम्हार, सैलून और मोची आदि के लिए सात-आठ दुकानें होंगी। इस दौरान वे अपने गांव के सुंदर नाई का किस्सा सुनाने से भी नहीं चूके।

उन्होंने बताया कि बात कुछ साल पुरानी है, उनके पैतृक गांव जैत के कुछ युवा बाल कटवाने भोपाल आए और उनसे मिलने भी चले आए। जब युवाओं ने उन्हें बताया कि वे गांव से बाल कटवाने भोपाल आए हैं, तो चौहान ने अपने गांव के सुंदर नाई का जिक्र किया। इस पर युवाओं का कहना था कि यहां के सैलून में तरह-तरह की सुविधाएं हैं, जो सुंदर नाई के पास नहीं है।

चौहान ने कहा कि वह चाहते हैं कि गांव में भी शहरों जैसी सुविधाएं मिलें, इसलिए गांव के कारीगरों को गांव में ही रोजगार दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन कारीगरों को सरकार द्वारा गारंटी लेकर 50 हजार रुपये तक का कर्ज दिलाया जाएगा, जिस पर 10 हजार रुपये की छूट दी जाएगी।  

चौहान तीसरे ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने किरदार के जरिये अपनी बात कही है। इससे पहले राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की कलावती के जरिए संसद में गरीबी और समस्या का जिक्र किया था, तो दो दिन पूर्व गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी ने जसुबेन के जरिये गुजरात के विकास का बखान किया था।

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बहरहाल, किरदार के सहारे बात कहने के बढ़ते चलन पर लोग कहने लगे हैं कि नेताओं को अपनी बात की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अब जनता को प्रमाण भी देना पड़ रहा है।