यह ख़बर 14 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

राजनीति में नहीं रखूंगा कदम : हजारे

खास बातें

  • भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अनशन से केंद्र सरकार को हिला देने वाले अन्ना हजारे ने खुद के राजनीति में उतरने या अपने आंदोलन को राजनीतिक मोड़ देने की संभावनाओं से इंकार कर दिया।
रालेगण सिद्धि:

भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अनशन से केंद्र सरकार को हिला देने वाले अन्ना हजारे ने बुधवार को खुद के राजनीति में उतरने या अपने आंदोलन को राजनीतिक मोड़ देने की संभावनाओं से इंकार कर दिया। हजारे (74) ने कहा बिल्कुल नहीं। मैं भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को राजनीति से मुक्त रखने के लिए पूरी ऐहतियात बरत रहा हूं। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या जन लोकपाल विधेयक के लिए उनका आंदोलन टीम अन्ना की इस घोषणा के बाद धीरे-धीरे राजनीतिक मोड़ ले रहा है कि लोग अगले संसदीय चुनाव में जन लोकपाल विधेयक विरोधी सांसदों को वोट नहीं दें। हालांकि वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी की भ्रष्टाचार विरोधी प्रस्तावित रथयात्रा पर हजारे ने खुलकर कुछ नहीं कहा। हजारे ने कहा यदि यह यात्रा भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के लिए है तो वे सत्तारूढ़ पार्टी का विरोध क्यों नहीं करते और जन लोकपाल विधेयक क्यों नहीं लाते? उन्होंने कहा यदि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई में ईमानदार हैं तो वे भाजपा शासित राज्यों में लोकायुक्त की स्थापना क्यों नहीं करते? हमें इस यात्रा में राजनीतिक मकसद का संदेह है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के इस बयान पर कि लोकपाल को चुनाव आयोग की तर्ज पर संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए हजारे ने कहा लोकपाल और चुनाव आयुक्त दोनों के पास उनके कार्य में सरकारी हस्तक्षेप के बिना स्वायत्त दर्जा होगा। हजारे ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के इस आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया कि उनका भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के समर्थन पर आधारित था। उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) नेता अशोक सिंघल के इस दावे को भी खारिज किया कि उनके संगठन ने हजारे के आंदोलन का समर्थन किया था। गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा हमारे आंदोलन का आरएसएस या विहिप से कोई लेना देना नहीं है। ऐसा लोगों को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है। रामदेव की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम पर हजारे ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने में योग गुरु की प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहीं है। हजारे ने कहा उनके (रामदेव) मंच पर एक ठप्पे वाले लोग बैठे। उन्हें हमारा समर्थन सिर्फ भ्रष्टाचार विरोधी पहलू तक सीमित है। हम उनका मंच साझा नहीं करेंगे और वह हमारा मंच साझा नहीं करेंगे। हम भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अलग अलग तरीकों से एक दूसरे का समर्थन करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने आंदोलन पर संसद के जवाब से संतुष्ट हैं उन्होंने कहा कि हम तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक कि लोकपाल विधेयक कानून नहीं बन जाता। हजारे ने कहा कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक को पारित कराने की समयसीमा पर सरकार के लिखित वायदे की वजह से सहमत हुए। उन्होंने कहा क्योंकि यह लिखित वायदा था इसलिए मैंने इसमें विश्वास जताया। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने अपना अनशन समाप्त करने के लिए केंद्रीय मंत्री विलास राव देशमुख का हस्तक्षेप कैसे स्वीकार कर लिया जबकि वह आदर्श घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे हैं हजारे ने कहा मैंने रामलीला मैदान में विलास राव देशमुख के रूप में उनका स्वागत नहीं किया था। हजारे ने कहा उन्होंने उन्हें आमंत्रित नहीं किया था। मैंने केवल प्रधानमंत्री का पत्र स्वीकार किया था जो उन्होंने मुझे मनमोहन सिंह के दूत के रूप में सौंपा था। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके अनशन के दौरान सरकार से बात करने वाली टीम को उनकी मंजूरी थी हजारे ने इसका जवाब हां में दिया। हजारे ने अपने 12 दिन के अनशन के बाद अस्पताल में उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा भेजे गए गुलदस्ते के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा अस्पताल में मुझे जो गुलदस्ता मिला वह प्रक्रियागत तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा भेजा गया था। गांधीवादी से पूछा गया कि यदि उनकी टीम के सदस्यों में मतभेद हो जाते हैं तो वह क्या करेंगे? हजारे ने जवाब दिया हमारे बीच न तो भूत में मतभेद थे और न ही भविष्य में होंगे। दरार तब पड़ती है जब लोग स्वार्थी और लालची होते हैं। मेरी टीम के सभी सदस्य नि:स्वार्थ भाव से लड़ाई लड़ रहे हैं। किरण बेदी द्वारा सांसदों का मजाक बनाए जाने के मुद्दे पर हजारे ने कहा उन्होंने रामलीला मैदान में सांसदों का मजाक उड़ा कर सिर्फ अपनी भावनाएं जाहिर की थीं। कुछ सांसद अनुचित व्यवहार करते हैं। विशेषाधिकार उल्लंघन का नोटिस मिलने पर वह इसका जवाब देंगी।


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