पटना:
राजनीति के क्षेत्र में बिहार की शुरू से ही अलग पहचान रही है और शायद बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जहां भोज के नाम पर भी राजनीति होती है। मकर संक्रांति के मौके पर भी राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया गया है, परंतु इसमें भी दलों की अपनी राजनीति नजर आ रही है।
वैसे तो राजनीतिक दलों द्वारा मकर संक्रांति के मौके पर भोज का आयोजन कोई नई बात नहीं है। बिहार जनता दल (युनाइटेड) ने मकर संक्रांति के मौके पर चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया है। पूर्व में इस आयोजन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भी पूरे उत्साह के साथ शिरकत करते थे, परंतु इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं।
पिछले साल जेडीयू और भाजपा एक-दूसरे से अलग हो गए और दोनों पार्टी के नेताओं में तल्खी भी बढ़ी है। जेडीयू के बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं, भोज में भाजपा के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। यह कोई राजनीति का मंच नहीं है, यह तो खाने-पीने का आयोजन है।
हालांकि भोज के आमंत्रण को लेकर भाजपा के नेताओं को डर सता रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं, जेडीयू की तो पुरानी आदत है 'न्योता देकर बीजे गोल' करना। ऐसे में उनके आमंत्रण से डर लगता है। वह कहते हैं कि एक बार पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के नेताओं को भोज पर आमंत्रित किया गया था, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया था। वह कहते हैं कि जेडीयू के सभी नेताओं पर अभी नीतीश का रंग चढ़ा है, इस कारण उनके भोज में जाने से डर लगता है।
इधर, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी मकर संक्रांति के मौके पर चूड़ा-दही भोज का आयोजन किया है। इस भोज में आरजेडी के तमाम नेताओं और प्रबुद्घ नागरिकों को आमंत्रण भेजा गया है। आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद इस भोज को लेकर खुद तैयारी में जुटे हुए हैं। लालू कहते हैं कि इस दिन अगर हमलोग किसी के घर जाएंगे, तो उसका खर्च हो जाता है, इस कारण यहीं एक साथ मिल बैठकर बात होगी।
आरजेडी के एक नेता का कहना है कि इस दिन आरजेडी के नेता पार्टी की आगे की रणनीति पर भी विचार करेंगे। वैसे लालू दार्शनिक अंदाज में कहते हैं, सांप्रदायिक ताकतों से देश को खतरा है, देश को बचाने की जरूरत है। जब देश रहेगा तब ही राजनीति होगी। बहरहाल, मकर संक्रांति को लेकर राजनीतिक पार्टियां भोज के आयोजन में जुटी हैं, परंतु आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भोज के दौरान आगे की रणनीति भी बनाई जा रही है।
मान्यता है कि मकर संक्रांति पर्व के बाद से शुभ समय का आगमन होता है और संक्रांति के दिन चूड़ा-गुड़ और तिलकुट से मुंह मीठा करने से आगे काम शुभ होते हैं।