यह ख़बर 18 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

आखिरी खत में अफजल ने कहा, मेरे मरने का मातम न मनाएं!

खास बातें

  • संसद भवन पर हुए हमलों में दोषी ठहराए गए मोहम्मद अफजल गुरु ने ‘सजा-ए-मौत’ से कुछ ही देर पहले लिखे अपने पत्र में परिवार के लोगों से अनुरोध किया था कि वे उसकी मौत का मातम नहीं मनाएं और उसने जो दर्जा हासिल किया है उसका सम्मान करें।
श्रीनगर:

संसद भवन पर हुए हमलों में दोषी ठहराए गए मोहम्मद अफजल गुरु ने ‘सजा-ए-मौत’ से कुछ ही देर पहले लिखे अपने पत्र में परिवार के लोगों से अनुरोध किया था कि वे उसकी मौत का मातम नहीं मनाएं और उसने जो दर्जा हासिल किया है उसका सम्मान करें।

अफजल ने फांसी के फंदे से लटकाए जाने से कुछ ही देर पहले आठ पंक्तियों में लिखे अपने पत्र में कहा था, ‘मेरा अपने परिवार के लोगों से अनुरोध है कि वे मेरी मौत का मातम नहीं मनाएं, बल्कि उन्हें इस दर्जे का सम्मान करना चाहिए।’ उसके परिवार के लोगों ने उर्दू में लिखे इस पत्र को ईमेल के जरिए मीडिया कार्यालयों और सोशल नेटवर्किंग साइटों को जारी किया।

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गुरु ने नौ फरवरी को सुबह छह बजकर 25 मिनट पर लिखे इस पत्र में कहा, ‘अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है कि उन्होंने मुझे शहादत के लिए चुना। हमारे हर समय सच के साथ बने रहने में यकीन रखने वालों को बधाई और मेरा अंत सच्चाई के लिए हुआ।’ उसने पत्र के आखिर में लिखा था, ‘अल्लाह सहयोगी और रखवाले हैं।’ फांसी के तख्त पर चढ़ाए जाने से कुछ ही देर पहले उसने अपनी पत्नी नाम पत्र लिखने के लिए एक कलम और कागज मांगा था।