मिलिए तीन भारतीयों से जो चुने गए हैं मंगल ग्रह की एकतरफा यात्रा के लिए

वर्ष 2024 में मंगल ग्रह की एकतरफा यात्रा पर कुल चार लोगों को भेजे जाने के लक्ष्य को लेकर चलाए जा रहे महत्वाकांक्षी निजी मिशन के अगले चरण के लिए जिन 100 आवेदनों को चुना गया है, उनमें तीन भारतीय - दो महिला और एक पुरुष - भी शामिल हैं।

हॉलैंड की नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइज़ेशन मार्स वन ने घोषित किया है कि एस्ट्रॉनॉट सेलेक्शन प्रोसेस (Mars One Astronaut Selection Process) के अगले चरण के लिए शुरुआती 2,02,586 आवेदनों में से कुल 100 लोगों को चुना गया है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य मंगल ग्रह पर मानवों की बस्ती बसाना है, और धीरे-धीरे लगभग 40 लोग मंगल ग्रह पर स्थायी रूप से बसा दिए जाएंगे।

अंतिम चरण के लिए चुने गए लोगों को सात साल तक प्रशिक्षित किया जाएगा, और मार्स वन इन चार लोगों को वर्ष 2024 से भेजना शुरू करेगा। फिलहाल चुने गए 100 लोगों में 50 पुरुष और 50 महिलाएं हैं, जिनमें से 39 अमेरिकी महाद्वीपों को रहने वाले हैं, 31 यूरोपियन हैं, 16 लोग एशियाई देशों से हैं, सात अफ्रीका से और सात ही ओसियानिया से हैं।

चुने गए भारतीयों में से 29-वर्षीय तरनजीत सिंह भाटिया फिलहाल यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा से कम्प्यूटर साइंस में डॉक्टरेट कर रहे हैं। अन्य दो भारतीय दुबई की रहने वाली 29-वर्षीय रितिका सिंह तथा केरल की रहने वाली 19-वर्षीय श्रद्धा प्रसाद हैं।

आइए देखते-सुनते हैं - तरनजीत सिंह का वह वीडियो, जो उन्होंने 'बिकम अ मार्शियन' (मंगलवासी बन जाइए) हो जाने की इच्छा जताते हुए मार्स वन को भेजा था...

अपने वीडियो-लॉग में रितिका का कहना था कि यह पांच साल की उम्र से ही उनका सपना रहा है...

उम्र के लिहाज़ से तीनों लोगों में सबसे छोटी श्रद्धा भविष्य में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ही काम करना चाहती हैं...

आवेदनों की छंटनी के पिछले साल हुए दूसरे दौर में 44 भारतीय चुने गए थे, जिनमें से 27 पुरुष तथा 17 महिलाएं थीं। अब तीसरे दौर में चीफ मेडिकल ऑफिसर नॉरबर्ट क्राफ्ट द्वारा लिए गए निजी ऑनलाइन इंटरव्यू के बाद 660 में से कुल 100 लोगों को चुना गया है। इंटरव्यू के दौरान आवेदकों से पूछा गया कि वह बताएं कि इस काम से जुड़े खतरों के बारे में वे कितना जानते-समझते हैं, टीम स्पिरिट के बारे में क्या सोचते हैं, और ज़िन्दगी को बदलकर रख देने वाले इस तजुर्बे से जुड़ने के लिए उन्हें किस बात ने प्रेरित किया।

नॉरबर्ट क्राफ्ट के मुताबिक, "हम इस बात से काफी प्रभावित हुए कि कितने मजबूत आवेदक इंटरव्यू राउंड में शामिल हुए, क्योंकि इससे हमारे लिए चुनाव करना बहुत मुश्किल हो गया था..." अब अगले दौर में इस तरह की टीमें बनाने की ओर फोकस दिया जाएगा, जो मंगल ग्रह पर स्थायी रूप से बसने की दिक्कतों को झेलने में सक्षम हों।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

आवेदकों को प्रशिक्षण के पहले दौर के दौरान मार्स आउटपोस्ट की पृथ्वी पर तैयार की गई नकल में रखा जाएगा, जहां वे टीम के तौर पर खुद को ढालने की क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे।