"मैं मुंबई सिर्फ घूमने के लिए आया था, लेकिन जब मैंने देखा कि यहां काम करने और कमाने के लिए ढेरों अवसर हैं, मैंने यहीं बस जाने का फैसला कर लिया..." यह कहानी मुंबई में मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियों में से एक धारावी में बसे एक अनाम व्यक्ति की है, जो आज बेहद सफल व्यवसाय यहीं से चला रहा है...
सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पर मौजूद 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' (Humans-of-Bombay) पेज पर अपलोड की गई इस पोस्ट के अनुसार यह व्यक्ति चमड़े का सामान और पोशाकें बनाता है, और खुद ही अपनी कहानी सुनाते हुए बताता है कि वह धारावी को एक गंदे और भीड़भाड़ वाले इलाके के रूप में नहीं देखता, बल्कि ऐसी जगह समझता है, जहां वह अपना भविष्य बना पाया... उसका कहना है, "यहां मुझे जगह मिली, वह सारा सामान मिला, जिसकी मुझे ज़रूरत थी... रहने की जगह मिली... लोग धारावी को गंदा इलाका समझते हैं, लेकिन यहां मेरे जैसे हज़ारों लोग रहते हैं, जिनके पास और कोई रास्ता ही नहीं है..."
उसका अनुरोध है कि धारावी और यहां के रहने वालों को देखकर नाक-भौं मत सिकोड़िए... वह कहता है, "इस झुग्गी-झोंपड़ी में 10 गुना 10 के कमरे में बनाया गया मेरा बनाया सामान अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में बिकता है, लेकिन जब विदेशों में लोग उसे पहनते हैं, तो क्या लोग इस बात के आधार पर भेद करते हैं कि यह बनाया कहां गया था...?"
इन साहब का बनाया सामान विदेशी बाज़ारों तक तो पहुंच ही गया है, लेकिन अब उन्होंने अपने बेटे को कम्प्यूटर कोर्स में दाखिला दिलवा दिया है, ताकि आने वाले समय में इनका कारोबार ऑनलाइन भी पहुंचे...
छोटे दर्जे के सफल घरेलू उद्योग की इस कहानी को सुनाते-सुनाते यह शख्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी संदेश देना नहीं भूले, और कहा, "छोटे बिज़नेस को भी बढ़ाओ, सरकार... इंडिया उसी तरह बढ़ेगा..."
सो, अब हम तो सिर्फ इतना ही सोच रहे हैं - क्या मोदी जी इस संदेश को पढ़ रहे हैं...?
धारावी के इस 'कामयाब' शख्स की पूरी कहानी यहां पढ़ें...