Blogs | बुधवार नवम्बर 19, 2014 06:23 PM IST किताबों में पढ़ा था कि संत 'कीचड़ में कमल' की तरह होता है, कीचड़ में रहते हुए भी कीचड़ से अलग... संसार में रहते हुए भी सांसारिक सुखों से उदासीन, लेकिन आजकल के बाबाओं को देखकर लगता है कि वे कीचड़ पर लोटना ज्यादा पसंद करते हैं...