Blogs | Apoorvanand |सोमवार मई 2, 2016 05:04 PM IST कोई भी ख्याल रखना एक बात है, लेकिन वह पर्याप्त सूचनाओं पर आधारित और उनसे प्रमाणित हुए बिना ज्ञान के क्षेत्र में स्वीकार नहीं किया जा सकता। बिपन चंद्र और अन्य विद्वानों के वर्षों के शोध के बाद लिखी किताब पर विचार रखने का अधिकार उनके जितना ही बौद्धिक श्रम करने वालों के पास है।