Blogs | रवीश कुमार |सोमवार जुलाई 8, 2019 12:58 PM IST बहुत से पत्रकार टाइमलाइन पर दैनिक प्रासंगिकता स्नान कर रहे थे. यह नए प्रकार का स्नान है. उन्होंने कई साल से कोई ख़बर नहीं की है जिससे लगे कि उनमें पत्रकारीय क्षमता है. काफी धूल जम गई है. इसलिए वे सरकार के समर्थन में ट्विट कर किसी से सवाल दाग देते हैं. फिर उनका एडिटर या मालिक नहीं पूछता कि तुम्हारी खबर कहां हैं. यह एक प्रकार का गंगा स्नान है जिसे मैं प्रांसिगकता स्नान कहता हूं.