Blogs | क्रांति संभव |बुधवार अगस्त 24, 2016 11:40 AM IST रोहित वेमुला को शायद अंदाज़ा था कि लड़ाई लंबी चलने वाली है, इसीलिए लिखा था अंतिम यात्रा शांतिपूर्वक निकले. उसने शायद पहले देख लिया था कि उसे एक बुद्धि, एक मानस या किसी संभावना से काटकर उसका मूल्य एक दलित छात्र माना जाएगा, जिसे एक पक्ष गाढ़ा करेगा, दूसरा पक्ष नकारेगा. उसने शायद यह समझ लिया था कि उसके डेथ सर्टिफिकेट से ज़्यादा अहम कास्ट सर्टिफिकेट होने वाला है.