'अभिव्यक्ति की आज़ादी'

- 6 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण |रविवार मार्च 21, 2021 11:08 AM IST
    बयान में कहा गया है, "हम स्वीकार करते हैं कि संस्थागत प्रक्रियाओं में कुछ कमी है, जिसे हम सभी हितधारकों के परामर्श से सुधारने के लिए काम करेंगे. यह अकादमिक स्वायत्तता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगा जो हमेशा से अशोका यूनिवर्सिटी के केंद्रों के मूल में रहा है."
  • Blogs | सुधीर जैन |सोमवार जनवरी 14, 2019 03:13 PM IST
    मसला यह था कि क्या किसी ऐतिहासिक चरित्र को नई कथा में ढाला जा सकता है. खैर, जिन्होंने विवाद खड़ा किया, उन्हें क्या और कितना हासिल हुआ, इसका पता नहीं चला. आखिर मामला सुलटा लिया गया. फिल्म रिलीज़ हुई. लेकिन साहित्य जगत में एक सवाल ज़रूर उठा और उठा ही रह गया कि क्या ऐतिहासिक चरित्रों के साथ उपन्यासबाजी या कहानीबाजी की जा सकती है, या की जानी चाहिए, या नहीं की जानी चाहिए...? कला या अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर क्या किसी ऐतिहासिक चरित्र को वैसा चित्रित किया जा सकता है, जैसा वह न रहा हो...? यह सवाल भी कि क्या कोई कलाकार किसी का चरित्र चित्रण ग्राहक की मांग के आधार पर कर सकता है...?
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार दिसम्बर 18, 2017 04:53 AM IST
    केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने रविवार को कहा कि अपने विचार व्यक्त करते वक्त कलाकारों को ज्यादा संवेदनशीलता बरतनी चाहिए और ‘‘अभिव्यक्ति’’ का घालमेल ‘‘आक्रामकता’’ से नहीं करना चाहिए.
  • India | Reported by: भाषा |बुधवार अगस्त 31, 2016 06:57 PM IST
    अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने जाति, भाषा या सम्प्रदाय का विचार किए बिना सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि लोगों को जेल में डाले जाने के डर के बिना विरोध प्रकट करने की इजाजत होनी चाहिए.
  • India | सोमवार मार्च 9, 2015 01:34 PM IST
    रविवार रात नौ से दस बजे तक एनडीटीवी ने डॉक्यूमेंटरी 'इंडियाज़ डॉटर' पर प्रतिंबध के खिलाफ विरोध के तौर पर अपने स्क्रीन को स्याह रखने का फ़ैसला किया। इसे हम न सिर्फ अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक हमला मानते हैं, बल्कि इसे एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत भी मानते हैं।
  • Blogs | गुरुवार जनवरी 8, 2015 09:41 PM IST
    पेरिस की घटना ने हमें फिर से उन सवालों के सामने पहुंचा दिया है जिसका जवाब तो हम जानते हैं मगर हर बार वो जवाब कुछ कम पड़ जाता है। इन सवालों के नाम हर बार अलग होते हैं। कभी अभिव्यक्ति की आज़ादी का सवाल, भावनाओं के आहत होने के सवाल, उदारता और सहनशीलता पर सकंट के सवाल, उकसाने से लेकर आदर के सवाल।
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