Blogs | रवीश कुमार |बुधवार अप्रैल 5, 2017 09:36 PM IST दावे के साथ तो नहीं कह सकता मगर इंडिया टुडे, आउटलुक और वीक जैसी अंग्रेजी की साप्ताहिक पत्रिकाओं ने सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों की रेटिंग शुरू की. पहली बार इंडिया टुडे ने कॉलेजों की रैंकिंग कब की थी इसका तो ध्यान नहीं मगर दस बारह साल से यह पत्रिका रेटिंग तो कर ही रही है. हर साल बेस्ट कॉलेज का विशेषांक आता था. नंबर वन कॉलेज की तस्वीर होती थी. खुशहाल छात्रों की तस्वीर होती थी, जिन्हें देखकर लगता था कि भारत में भी नंबर वन कॉलेज हैं. हम सबने इन विशेषांकों को देखा ही होगा. इसके बाद कई एजेंसियां और न्यूज़ चैनल नंबर वन, नंबर टू बनाने लगे जिनमें प्राइवेट कॉलेजों का बोलबाला होने लगा. फिर भी कुछ कॉलेज तमाम तरह की सूचियों में स्थायी भाव से बने रहे. ऐसा नहीं है कि उस वक्त सरकार कॉलेजों की ग्रेडिंग नहीं कर रही थी.