Bihar | मनीष कुमार |सोमवार मई 6, 2019 03:00 AM IST जनसंघ के पंडित दीनदयाल उपाध्याय और कम्युनिस्ट पार्टी के कामरेड भुपेश गुप्त उनके गैर-कांग्रेसवाद की रणनीति के सक्रिय सहयोगी थे. तब के संदर्भ में वह एक सफल रणनीति थी. उस रणनीति का परिणाम था कि आज़ादी के बाद पहली मर्तबा आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारें बनीं. कांग्रेस की अपराजयता की धारणा टूटी. शिवानंद ने आगे लिखा कि जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, किसी भी रणनीति का मकसद तात्कालिक होता है.