Blogs | मंगलवार दिसम्बर 2, 2014 09:17 PM IST इतना तो तय है कि हमारे कई नेता न तो संविधान ठीक से जानते हैं, न धर्म का विधान। लोकतंत्र की पूरी समझ कंफ्यूज़ होती जा रही है। कोई नेता को भगवान बता रहा है तो कोई विरोधी को राक्षस। ऐसे तुलसीदासों से कम से कम रामायण को तो बचाया ही जाए।