Blogs | रवीश कुमार |बुधवार फ़रवरी 23, 2022 12:01 AM IST यूक्रेन में तनाव है और युद्ध की आशंका ने दुनिया को अस्थिरता से घेर लिया है. युद्ध अपने साथ प्रोपेगैंडा लेकर आता है. इराक युद्ध के समय पश्चिमी देशों का प्रोपेगैंडा सच बनकर छाया हुआ था जिस पर ब्रिटेन की संसद की बनाई चिल्कॉट कमेटी ने बताया था कि इराक पर हमला करने से पहले ब्रिटेन ने अपनी जनता से झूठ बोला था कि सद्दाम हुसैन के पास रसायनिक हथियार हैं. इराक युद्ध में ब्रिटेन की सेना भेजने वाले तबके प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था लेकिन इस दौरान रणनीति बनाने में हुई गलतियों को लेकर माफी भी मांगी थी. इस संदर्भ में हमें यह देखना ही चाहिए कि कौन सा देश कितना सही बोल रहा है और कितना हंगामा मचा रहा है. इस हंगामे का लाभ कौन उठाने वाला है और क्या करने वाला है. लेकिन हम और आप इससे प्रभावित ज़रूर हैं. आज रायटर समाचार एजेंसी ने ट्वीट किया है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत सितंबर 2014 के बाद सबसे अधिक स्तर पर पहुंच गई है. सितंबर 2014 में कच्चे तेल का भाव 99.38 डॉलर प्रति बैरल हो गया था जो सोमवार के दिन 98.87 डॉलर प्रति बैरल हो गया?