File Facts | ख़बर न्यूज़ डेस्क |रविवार सितम्बर 23, 2018 06:51 AM IST राफेल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के दावे के बाद भारत में सियासी घमासान जारी है. राफेल सौदे को लेकर भारी राजनीतिक विवाद पैदा होने पर सरकार ने शनिवार को कहा कि दसाल्ट के लिए साझेदार के तौर पर रिलायंस डिफेंस का चयन करने में उसकी ‘कोई भूमिका’ नहीं थी. फ्रांस ने भी कहा कि इस सौदे के लिए किसी भारतीय औद्योगिक सहयोगी के चयन में वह किसी भी तरह शामिल नहीं था. उधर, राफेल विनिर्माता दसाल्ट एविएशन ने स्पष्ट किया है कि ऑफसेट की शर्तों को पूरा करने के लिए रिलायंस डिफेंस लिमिटेड से साझेदारी का फैसला उसका अपना था. हालांकि, फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद जहां एक ओर कांग्रेस मोदी सरकार पर आरोप लगा रही है, वहीं मोदी सरकार इस मामले में अपनी भूमिका से इनकार कर रही है. राफेल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान को लेकर सरकार पर राहुल गांधी के वार पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कांग्रेस को ‘‘भ्रष्टाचार की जननी’’ करार दिया और आरोप लगाया कि संप्रग शासन के दौरान बाहरी कारणों से राफेल सौदे को अंतिम रूप नहीं देने का दबाव था. वहीं राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि फ्रांस्वा ओलांद जो कह रहे हैं उसका मतलब यह है कि भारत के प्रधानमंत्री चोर हैं.