Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार नवम्बर 11, 2021 08:56 AM IST हम अक्सर ख़बरों को आज और कल के खांचे में देखते हैं और पलट कर आगे बढ़ जाते हैं. यही नहीं ख़बरों को हमेशा एक अकेली घटना के रूप में देखने लग जाते हैं. इससे निकलने का रास्ता आसान तो नहीं है लेकिन अगर आप कुछ ख़ास तरह की ख़बरों को निकाल कर उन्हें एक क्रम में रख कर देखेंगे तो वह लकीर दिख जाएगी जिससे आपके नागरिक होने के अधिकार का दायरा, छोटा किया जा रहा है. इसे शिकंजा कसना कहते हैं. गर्दन तक हाथ पहुंच गया है, दबाया भी जा रहा है, रहमत इतनी है कि मारा नहीं जा रहा है. UAPA के बारे में आप कितनी बार ख़बरें पढ़ते हैं, अदालत की टिप्पणियां पढ़ते हैं लेकिन इसके बाद भी आप देखते हैं कि वही कहानी दोहराई जाती है. राज्य की मशीनरी को लगता है और यह सही भी है कि आप भूल जाते हैं और बहुतों को फर्क नहीं पड़ता. एक नया आदेश आ जाता है.