'सिख विरोधी हिंसा'

- 32 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | प्रियदर्शन |रविवार जुलाई 11, 2021 10:00 PM IST
    1984 की सिख विरोधी हिंसा आज़ाद भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है. लेकिन यह बीता हुआ इतिहास नहीं, शक्लें बदल कर बार-बार वापस लौटता इतिहास है. 1984 कभी मुंबई का 1993 हो जाता है और कभी गुजरात का 2002. कुछ छोटे रूप में 2020 की दिल्ली में भी यह सब दुहराया जा चुका है. हम पा रहे हैं कि सांप्रदायिकता का जो ज़हर अब तक ख़त्म हो जाना चाहिए था, वह न सिर्फ़ बचा हुआ है, बल्कि इस देश के ज़िस्म में कहीं गहरे फैलता जा रहा है.
  • India | Reported by: आशीष कुमार भार्गव, Edited by: आनंद नायक |बुधवार जुलाई 1, 2020 03:55 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना किसी शिकायत या उपचार पर आरोप के हम इस याचिका को नहीं सुन सकते. किसी मरीज के परिजनों को अस्पताल में जाने की अनुमति नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सामान्य नियम है और इसके विपरीत आदेश जारी नहीं किया जा सकता.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: अल्केश कुशवाहा |बुधवार मई 13, 2020 12:56 PM IST
    1984 सिख विरोधी हिंसा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ राहत नहीं मिली. सज्जन की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने लंबित रखी है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब जुलाई में सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की मेडिकल रिपोर्ट देखकर कहा कि अभी उन्हें किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं है. बढ़ती उम्र और खराब तबियत का हवाला देकर सज्जन कुमार ने जमानत मांगी है.
  • Uttar Pradesh | Reported by: कमाल खान, Edited by: सूर्यकांत पाठक |गुरुवार फ़रवरी 27, 2020 09:04 PM IST
    दिल्ली हाईकोर्ट के बाद अब मायावती ने दिल्ली को दंगों को 1984 के सिख विरोधी दंगों जैसा बताया है. जबकि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी ने पोलराइज़ेशन करने और मुद्दों से ध्यान हटाने लिए दंगे करवाए हैं. उधर दिल्ली दंगों के मद्देनज़र यूपी में अयोध्या,काशी, मथुरा समेत सभी संवेदनशील जिलों में सिक्यूरिटी और निगरानी बढ़ा दी गई है. बंटवारे के बाद पहली बार दिल्ली में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए. उस दिल्ली में जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रपति और पूरी केन्द्र सरकार रहती है.
  • India | Reported by: भाषा |बुधवार फ़रवरी 26, 2020 01:54 PM IST
    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब 'प्रेम का संदेश' देने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे तब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था और इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी की कभी इतनी बदनाम नहीं हुई थी. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय ने अफसोस जताया कि ऐसे समय दिल्ली में ट्रंप का स्वागत किया गया जब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था. उसने कहा कि हिंसा सीधे तौर पर यह संदेश दे सकती है कि केन्द्र सरकार दिल्ली में कानूव एवं व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही. शिवसेना ने कहा, 'दिल्ली में हिंसा भड़की. लोग डंडे, तलवार, रिवाल्वर लेकर सड़कों पर आ गए, सड़कों पर खून बिखरा था. दिल्ली में स्थिति एक डरावनी फिल्म की तरह थी, जिसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के जख्मों को हरा कर दिया.' उसने कहा कि भाजपा आज भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा में सैकड़ों सिखों की हत्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार जनवरी 15, 2020 04:58 PM IST
    सन 1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले में जस्टिस ढींगरा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार, अभियोजन पक्ष और पुलिस ने सही समय पर अपनी रिपोर्ट अपील अदालत में दाखिल नहीं की. इसकी वजह से केसों के रिकॉर्ड नष्ट हो गए. जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 10 मामलों में राज्य सरकारें अपील दाखिल करें. दस वे FIR हैं जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन एसएचओ कल्याणपुरी ने दंगाइयों की सहायता की थी.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |मंगलवार जुलाई 23, 2019 05:21 PM IST
    दिल्ली के त्रिलोकपुरी में 1984 की सिख विरोधी हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए 33 लोगों को जमानत दे दी है. इसके अलावा इस मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट बाकी दोषियों की याचिका पर बाद में सुनवाई करेगा.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |मंगलवार अप्रैल 30, 2019 01:52 PM IST
    1984 सिख विरोधी हिंसा में सुप्रीम कोर्ट ने त्रिलोकपुरी मामले में दोषी ठहराए गए 15 लोगों को बरी कर दिया.
  • Delhi | Reported by: शरद शर्मा |शनिवार दिसम्बर 22, 2018 12:14 AM IST
    आम आदमी पार्टी ने विधायक अलका लांबा से उनकी विधायकी और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा मांगा है. सूत्रों के मुताबिक अलका लांबा इस बात पर अड़ी हुई थी कि 1984 में क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सिख विरोधी हिंसा को उचित ठहराते हुए कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है. इसलिए केंद्र सरकार से राजीव गांधी को दिए गए सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न को वापस लेने के लिए प्रस्ताव पास किया जाए.
  • India | Reported by: राजीव रंजन |गुरुवार दिसम्बर 20, 2018 11:29 AM IST
    1984 सिख विरोधी दंगे के एक और मामले में आज सज्जन कुमार के खिलाफ सुनवाई हुई. दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले की सुनवाई 22 जनवरीर तक टाल दी. सज्जन कुमार के खिलाफ यह मामला नवंबर 1984 में सुल्तानपुरी में 16 की हत्या का है. जबकि इससे पहले दिल्ली कैंट में हुई हिंसा में 5 लोगों की हत्या के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुना चुका है. हालांकि, पीड़ित पक्षों की मांग है कि सज्जन कुमार को उम्रकैद नहीं, बल्कि फांसी की सजा हो. हालांकि, इस पर पीड़ितों के वकील एचएस फुल्का की अपनी एक अलग दलील है. 
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