Blogs | डॉ विजय अग्रवाल |गुरुवार फ़रवरी 16, 2017 01:09 PM IST काला टीका लगाया जाना ज़रूरी है, अन्यथा नज़र लगने की यह बीमारी संक्रामक रूप ले लेगी. फिल्मों के रिलीज़ होने से पहले ही लोगों की आस्थाएं आहत होने लगती हैं. यहां तक कि उन वकीलों की भी, जिन्हें समाज तार्किक-बुद्धिजीवी मानता है. किताबें आहत करती हैं, कथन आहत करते हैं, लेख आहत करते हैं.