Blogs | अखिलेश शर्मा |सोमवार सितम्बर 3, 2018 09:15 PM IST इस साल दिसंबर में होने वाले हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले जातिगत राजनीति सिर चढ़ कर बोलने लगी है. बात हो रही है मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में सवर्णों के उस आंदोलन की जिसके विरोध के चलते कई मंत्रियों, सांसदों की घेरेबंदी हो रही है और उन्हें आंदोलनकारियों से बचाने के लिए पीछे के दरवाजों से निकाला जा रहा है. कल देर रात सीधी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक सभा में उन पर चप्पलें भी फेंक दी गईं. दरअसल, पूरा मामला अनुसूचित जाति तथा जनजाति अत्याचार निवारण कानून को लेकर शुरू हुआ है. सवर्ण संगठनों का आरोप है कि एससी/एसटी वर्ग को खुश करने के चक्कर में केंद्र सरकार ने सवर्णों को इस कानून की ज्यादतियों का शिकार बनने का रास्ता खोल दिया है. बीजेपी के लिए सिरदर्द इसलिए बढ़ रहा है कि यह विरोध सिर्फ मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. कई दूसरे राज्यों में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के लिए एससी/एसटी एक्ट में संशोधन का विरोध शुरू हो चुका है. इस मुद्दे पर 6 सितंबर को बंद का आव्हान भी किया गया है. इस जटिल सामाजिक मुद्दे के कई पहलू हैं. उन्हें एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं.