ताशी और नौंगशी का सपना था एवरेस्ट फतह करने का, लेकिन इस सपने के सामने मां का डर रास्ता रोककर खड़ा हो गया। आखिरकार मां को अपनी बेटियों की बात माननी पड़ी और वहां से शुरू हुआ ऐसा सफर, जो एवरेस्ट की चोटी पर जाकर खत्म हुआ।
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