राजेन्द्र यादव को हिन्दी साहित्य में ’नई कहानी’ के दौर को गढ़ने वालों में से एक माना जाता है। लंबे समय से राजेन्द्र यादव साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन कर रहे थे।
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