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कुछ ऐसे थे डॉ कलाम के लास्ट मोमेंट...

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1931 से उनकी ज़िंदगी का सफ़र शुरू हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के असर को उन्होंने अपने रामेश्वरम में भी झेला और याद किया। आख़िरी कुछ सालों में उनके क़रीबी सहयोगी रहे सृजन पाल सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर अंतिम बातों का ज़िक्र किया है।



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