राजस्थान के एक गांव से ताल्लुक रखने वाले बाबूलाल 2003 में दिल्ली पुलिस में सिपाही ना बनते, तो लाखों सिपाहियों के दर्द के बारे में हम नहीं जान पाते। यह सिपाही फेसबुक के ज़रिये सिपाहियों की बात दुनिया तक पहुंचा रहा है।
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