यमुना के किनारे संस्कृतियों का महासंगम तो होगा लेकिन क्या उसमें यमुना भी शामिल होगी। नदियों को मां-मौसी कहने के भावुक विमर्श में नुकसान नदियों का ही हो रहा है।
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