अगर कुछ महीने छोड़ दिए जाएं, तो पिछले कुछ सालों से दोनों नेता राज्य की सता पर क़ाबिज़ हैं, लेकिन अब बिहार में कुछ ही दिनों में 130 से अधिक बच्चों की मौत ने इनकी प्रशासनिक कुशलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और इसीलिए जहां नीतीश कुमार अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में बात करने की बजाय मीडिया से मुंह फुलाए बैठे हैं, वहीं सुशील मोदी का हमेशा की तरह इस बार भी 'लालू-राबड़ी' राग जारी है.