NDTV Khabar

  • यह अपराध इतना जघन्य, भयानक और दर्दनाक था कि पूरा समाज हिला गया. आखिर कोई कैसे इतनी संख्या में बच्चों के साथ दुष्कर्म करके हत्या कर सकता है और उन्हें वहीं दफना सकता है. इसे लेकर समाज में गुस्सा था और आज भी है. 
  • नए पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने अभी तक ऐसा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया, जो दिल्ली पुलिस उनके जाने के बाद याद रखे. हालांकि, अभी उनका कार्यकाल चल ही रहा है.
  • मैं जबलपुर के विक्टोरिया अस्पताल में अपनी मां के साथ तीमारदार के तौर पर 11-12 दिन आईसीयू में रहा. अपनी आंखों के सामने लोगों को मरते देखा तो कई लोगों को ठीक होकर जाते भी देखा. मेरी माता जी उन भाग्यशाली लोगों में थीं जो कोरोना से कड़ा संघर्ष करने के बाद आखिरकार ठीक होकर घर लौट आयीं.
  • ये दिल्ली है मेरी जान! दिल्ली है दिलवालों की! इस शहर में न तो जान दिखती है और न ही कोई दिलवाला, अगर ऐसा होता तो कोरोना के खतरे के बीच लोग यूं शहर छोड़कर नहीं भागते. एक हिंदी फिल्म 'अलग अलग' का वो गाना याद आता है 'गिला मौत से नहीं है मुझे ज़िंदगी ने मारा.' अपने मासूम बच्चों को गोद लिए, कंधों और सिर पर भारी भरकम बैग लिए हवाई चप्पल पहने जो मज़दूर घर जाने के लिए कई दिन भूखे रहकर कई किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं, उनके लिए शायद ज़िंदगी मौत से भी बदतर है.
  • आलोक वर्मा को डीजी तिहाड़ बनने के पहले बहुत कम ही लोग जानते थे. उनका किसी विवाद में कोई नाम नहीं आया था. लेकिन 5 अगस्त 2014 को जब वे डीजी तिहाड़ बने तो विवादों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया. यहां पुलिस मुख्यालय में बैठे कुछ आईपीएस उनके लिए एक स्क्रिप्ट लिख रहे थे.
  • गुरमीत राम रहीम को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया था. खबर आते ही मेरा फोनो शुरू हो गया. मैं कोर्ट के फैसले के बारे में मुश्किल से पांच मिनट ही ऑन एयर गया था कि जिमखाना क्लब बाग की ओर से आंसू गैस के गोले धांय-धांय बोलने लगे. मुझे पलक झपकते यह समझने में देर नहीं लगी कि हिंसा शुरू हो चुकी है.
  • केपी सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर भले ही कम लोग जानते हों, लेकिन बुंदेलखंड में वह किसी पहचान के मोहताज नहीं. एक कुशल वक्ता, इस उम्र में भी छोटी-छोटी ख़बरों की ललक, ख़बरों में गहराई, ईमानदारी और सिस्टम की धज्जियां उड़ाती ख़बरों से ही उनकी पहचान आक्रामक और खांटी पत्रकार की है.

Advertisement

 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com