शाहीन बाग़ का महज़ नाम ले लेने से लगभग युद्ध छिड़ उठता है. प्रशासन की आंखों की किरकिरी बनी हुई हैं शाहीन बाग़ में धरने पर बैठी महिलाएं. और अब शाहीन बाग़ महज़ एक जगह का नाम नहीं रह गया, शाहीन बाग नागरिकता कानून के विरोध का एक प्रतीक बन चुका है. ऐसे ही आंदोलन अब देश भर के कई शहरों में शुरू हो गए हैं. यह किसी भी सरकार को तनाव में लाने के लिए काफी है. और इसको लेकर मोदी सरकार का नाखुश होना लाज़मी है.