अगर मोदी अपनी नई पारी की शुरुआत सचमुच सबको साथ जोड़कर करने के प्रति गंभीर हैं, तो उन्होंने बहुत-से मुद्दों पर आत्ममंथन करना होगा. उन्हें BJP और संघ परिवार को भी उन्हीं की लाइन पर चलने के लिए बाध्य करना होगा. उन्हें खुद आगे बढ़कर मुस्लिम समुदाय के प्रभावी और सम्मानित प्रतिनिधियों को नियमित वार्ताओं के लिए आमंत्रित करना होगा, जिनमें उनके कड़े आलोचक भी शामिल हों, और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में ताकत के विभिन्न स्तरों पर उन्हें भी हिस्सेदारी देनी होगी.