अतीत में भी राष्ट्रपति इन्हीं हालात में एक ही साल मे दो-दो संयुक्त सत्रों को संबोधित कर चुके हैं. लेकिन विश्लेषक इस बात से हैरान है कि लेखानुदान पारित करने के लिए सामान्य से काम के लिए दो सप्ताह का सत्र क्यों आहूत किया गया है, जबकि उसे दोनों ही सदनों में दो-दो दिन में निपटाया जा सकता था.