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नरेश गोयल: कंगाली से बुलंदी और बुलंदी से बर्बादी तक का सफर! जेट एयरवेज की पूरी कहानी

जेट एयरवेज के मालिक रहे नरेश गोयल कभी फ्लाइट्स की टिकट बेचा करते थे. 300 रुपये महीने की पगार पर नौकरी की. एयरलाइन के मालिक कैसे हुए बर्बाद, पूरी कहानी पढ़ें.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी06:54 PM IST, 07 May 2024NDTV Profit हिंदी
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Naresh Goyal-Jet Airways Story: वो 1965-67 का दौर था. पंजाब के संगरूर जिले में एक इलाका है धुरी, जो कि CM भगवंत मान की विधानसभा सीट है, वहीं का रहनेवाला, हालातों का मारा एक नौजवान आंखों में कुछ सपने लेकर दिल्‍ली पहुंचा. नाम- नरेश गोयल.

पिता के गुजरने के बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था तो पटियाला के बड़े व्‍यवसाई रिश्‍तेदार सेठ चरण दास ने मदद की और फिर नरेश गोयल दिल्‍ली निकल आए. एविएशन सेक्‍टर में गोयल की एंट्री के पीछे भी सेठ चरण दास की भूमिका रही थी.

फर्श से अर्श पर पहुंचने और अर्श से फर्श पर आ गिरने की अलग-अलग कहानियां तो आपने खूब सुनी होगी, लेकिन नरेश गोयल की कहानी में ये दोनों चीजें शामिल हैं.

कभी एविएशन इंडस्‍ट्री के बेताज बादशाह रहे गोयल बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं. मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी के करीब 8 महीने बाद उन्‍हें अंतरिम जमानत मिल पाई है.

बंगाली मार्केट को कभी भुला नहीं पाएंगे गोयल

नरेश गोयल जब दिल्‍ली आए थे तो उन्‍हें यहां के बंगाली मार्केट में शरण मिली. दिल्‍ली के इनसाइक्‍लोपीडिया माने जाने वाले वरिष्‍ठ पत्रकार विवेक शुक्‍ला बताते हैं कि 1933 से चली आ रही मशहूर दुकान बंगाली स्‍वीट्स में नरेश गोयल को पार्ट-टाइम काम मिल गया.

NDTV Profit हिंदी से बातचीत में, विवेक शुक्‍ला ने बताया कि बंगाली स्‍वीट्स के मालिक लाला भीमसेन लोगों के हमदर्द हुआ करते थे. उन दिनों दिल्‍ली में बरसाती का कल्‍चर था. एक कोठी की बरसाती में गोयल को भी जगह मिल गई. बरसाती, किसी कोठी के अपर फ्लोर पर बड़ी छत से जुड़ा एक कमरा होता था. गोयल वहीं रहने लगे. खाने का जुगाड़ उसी बंगाली स्‍वीट्स में हो जाया करता था.

एविएशन सेक्‍टर से परिचय

गोयल कुछ घंटे होटल में काम करते और बाकी समय में वो कस्‍तूरबा गांधी मार्ग स्थित अंसल भवन में चरण दास की ट्रैवल एजेंसी में एयरलाइंंस की टिकटें बेचते थे. उन्‍हें हर महीने 300 रुपये मिला करते थे.

वायुदूत एयरलाइंस के तत्‍कालीन चेयरमैन रहे हर्षवर्धन बताते हैं कि नरेश गोयल दिल्‍ली में नौकरी के इरादे से नहीं आए थे, बल्कि उनके कुछ ख्‍वाब थे. वे आसमान में उड़ान भरना चाहते थे.

अंसल भवन में कई एयरलाइंस के ऑफिसेस हुआ करते थे. गोयल इराक और कुवैत एयरलाइंस की टिकटें बेचने लगे. गोयल की कमाई बढ़ी, चार्टर्ड फ्लाइट के काम से.

शादी-समारोह, निजी काम, बिजनेस के लिए जिन्‍हें चार्टर्ड प्‍लेन की जरूरत होती, गोयल प्राइवेट कंपनियों में उनकी बुकिंग करवा देते. महीने में एक-दो बुकिंग भी हो गई तो वारे-न्‍यारे. बाद में उन्‍होंने कृष्‍णा मार्केट में घर ले लिया.

लोगों ने मजाक उड़ाया, गोयल ने खड़ी कर दी कंपनी

चार्टर्ड प्‍लेन में लोगों को लाते-ले जाते, गोयल दिल्‍ली-बंबई करने लगे. बंबई में वे ताज और ओबेरॉय होटल में उठने-बैठने लगे. वहां वे बड़े-बड़े लोगों से दोस्‍ती बढ़ाते और अपनी पैठ जमाते. 1967 से 1974 तक उन्होंने कई विदेशी एयरलाइन्‍स के साथ एसोसिएशन के जरिये ट्रैवल बिजनेस की बारीकियां सीखी. इस दौरान उन्होंने बिजनेस के सिलसिले में खूब विदेश यात्राएं भी की.

1974 में उन्‍होंने पत्‍नी अनीता गोयल के साथ मिलकर खुद की ट्रैवल एजेंसी शुरू की, नाम दिया- जेट एयर. जब वे पेपर टिकट लेने एयरलाइन कंपनियों के ऑफिस जाया करते थे तो वहां लोग ये कह कर उनका मजाक उड़ाते थे कि एक ट्रैवल एजेंसी का नाम एयरलाइन कंपनी जैसा क्‍यों रखा है! गोयल जवाब देते- वो दिन भी आएगा.

गोयल की कंपनी देश में विदेशी एयरलाइंंस को सेल्‍स और मार्केटिंग रिप्रेजेंट करने लगी और फ्रांस और कैथे पैसिफिक जैसी कुछ बड़ी कंपनियों के लिए काम किया.

उदारीकरण के दौर में जेट एयरवेज का टेक-ऑफ

फिर आया 1990 यानी आर्थिक उदारीकरण का दौर. सरकार ने प्राइवेट एयरलाइन्‍स को ओपन स्‍काईज पॉलिसी के तहत सेवाएं रन करने की अनुमति दी. इसी दौर में जेट एयरवेज भी अस्तित्‍व में आई और मई 1993 से एयरलाइन का कमर्शियल ऑपरेशन शुरू हो गया. उस समय कंपनी को गल्‍फ एयर और कुवैत एयरवेज का सपोर्ट था, जिनकी कंपनी में 40% हिस्‍सेदारी थी.

उस दौर में ईस्‍ट-वेस्‍ट एयरलाइंस, दमानिया एयरवेज, सहारा इंडिया एयरलाइंस और मोदीलुफ्त जैसी एयरलाइंस भी अस्तित्‍व में आईं. हालांकि कुछ साल के भीतर ही सहारा को छोड़ बाकी तीन एविएशन सेक्‍टर से गायब हो गईं.

फैक्‍ट फिगर

  • जेट एयरवेज ने भारत और दुनिया भर में 65 से अधिक जगहों के लिए उड़ान भरी.

  • इनमें यूरोप, मिडिल-ईस्‍ट, साउथ-ईस्‍ट एशिया और उत्तरी अमेरिका के डेस्टिनेशंस शामिल हैं.

  • मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु में इसके सेंटर हैं, जबकि एम्स्टर्डम, पेरिस, लंदन और अबू धाबी में भी इसके गेटवे हैं.

  • सेवाएं बंद होने से पहले एयरलाइन ने 1,000 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर 124 विमानों का संचालन किया.

इश्‍क और जंग में सब जायज!

सरकार के मालिकाना हक वाली इंडियन एयरलाइन और एयर इंडिया के सामने जेट एयरवेज चुनौती बनकर उभरी. सरकार और पॉलिटिशियंस के बीच अपनी पहुंच और नेटवर्क का उन्‍होंने खूब इस्‍तेमाल किया ताकि उनकी एयरलाइन 'जेट एयरवेज' रफ्तार भरती रहे.

इसी दौर में टाटा ग्रुप और सिंगापुर एयरलाइंस के बीच ज्‍वाइंट वेंचर प्रस्‍तावित था. दोनों संयुक्‍त रूप से सरकारी एयरलाइंस में 40% हिस्‍सेदारी लेने के करीब थे. लेकिन कुछ राजनीतिक हलकों और ट्रेड यूनियनों के हंगामे ने इसे फेल कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसके पीछे नरेश गोयल का ही हाथ बताया जाता है.

IPO और अधिग्रहण से फेयर प्राइस वॉर तक

विश्वस्‍तरीय सेवाओं और किफायती किराये की बदौलत जेट एयरवेज भारतीयों की पसंद बन गई थी. अगले कुछ वर्षों में इसने अंतरराष्‍ट्रीय लेवल पर कदम बढ़ाया और फिर 2005 में कंपनी 1899.35 करोड़ रुपये का IPO लेकर आई. 1,100 रुपये के प्राइस रेंज वाला IPO सफल रहा.

जेय एयरवेज नई ऊंचाइयां छू रहा पर था और सरकारी एयरलाइंस अपना स्‍टेटस खो रही थी. इसी दौर में एयर डेक्‍कन, स्‍पाइसजेट, गो एयर (Go First), किंगफिशर और इंडिगो जैसे नए खिलाड़ी एविएशन मार्केट की तस्‍वीर बदलने लगे थे.

इन्‍हीं घटनाक्रमों के बीच 2007 में नरेश गोयल ने 2,200 करोड़ रुपये में एयर सहारा का अधिग्रहण किया. ये उनकी बड़ी गलती साबित हुई. एविएशन मार्केट एक्‍सपर्ट्स का मानना था कि एयर सहारा के लिए ये वैल्‍यूएशन कहीं ज्‍यादा है.

दूसरी ओर जेट एयरवेज ने बोइंग और एयरबस से करीब 2 दर्जन वाइड बॉडी विमानों का ऑर्डर दे दिया. कंपनी तेजी से इंटरनेशनल रूट्स के लिए आवेदन कर रही थी, जबकि लंबी दूरी की उड़ानों के लिए न ही कर्मियों के पास पर्याप्‍त एक्‍सपर्टीज थी, न ही उन्‍हें पर्याप्‍त प्रशिक्षण मिला था.

2008 में वैश्विक स्‍तर पर तेल की बढ़ती कीमतों के बीच फेयर प्राइस वॉर भी शुरू हो गया. जेट फ्यूल, जो ऑपरेटिंग कॉस्‍ट का 40% से अधिक होता है, वो महंगा पड़ रहा था. दूसरी ओर वैश्विक मंदी में हवाई यात्रा की मांग भी कम होने लगी थी.

क्‍या गोयल के लिए मिली 49% FDI की मंजूरी?

आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही जेट एयरवेज और किंगफिशन ने मोटा कर्ज उठाया. 2012 में आखिरकार किंगफिशर को अपना कारोबार बंद करना पड़ा. जेट एयरवेज की हालत भी पतली थी और उसे निवेशकों की तलाश थी.

इस बीच सरकार ने भारतीय कंपनियों में विदेशी एयरलाइन्‍स को 49% तक हिस्‍सेदारी रखने की अनुमति दे दी. इससे एयरलाइन कंपनियों को एक नई उम्‍मीद मिली. कुछ लोग इसके पीछे भी गोयल की भूमिका बताते हैं.

अप्रैल 2013 में एतिहाद एयरवेज ने 2,000 करोड़ रुपये में जेट एयरवेज में 24% हिस्‍सेदारी खरीदने की घोषणा की. इस डील को लेकर विपक्ष ने सरकार पर पक्षकारिता के आरोप भी लगाए. बहरहाल अगले कुछ वर्ष जेट एयरवेज, इंडिगो के साथ फेयर प्राइस वॉर में बनी रही.

बिगड़ते गए हालात और बंद हो गई एयरलाइन

साल 2015-17 के बीच फ्यूल की कीमतें कम रहीं और गोयल को सपोर्ट भी मिला, लेकिन 2018 आते-आते चीजें बदतर होती चली गईं.

वैश्‍विक स्‍तर पर तेल की कीमतें बढ़ने लगीं और दूसरी ओर फेयर प्राइस वॉर में भी इंडिगो, जेट एयरवेज से आगे निकल गई. इसी दौरान गोयल पर अपनी कंपनी से फंड्स की हेराफेरी के भी आरोप लगे.

जेट एयरवेज को सबसे ज्‍यादा कर्ज SBI ने दे रखा था. ऐसे में उसके नेतृत्‍व वाले बैंक कंसोर्टियम ने इमरजेंसी फंड इन्‍वेस्‍टमेंट के रिक्‍वेस्‍ट को रिजेक्‍ट कर दिया. एक साल से ज्‍यादा समय तक घाटे में रहने और भारी कर्ज के बोझ तले जेट एयरवेज का संचालन अप्रैल 2019 में बंद हो गया. वित्तीय गड़बड़झालों के चलते नरेश गोयल CBI, इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट, SFIO और ED की जांच के दायरे में आ गए.

ED ने किया गिरफ्तार, जाना पड़ा जेल

मई, 2019 में जब गोयल ने चेयरमैन पद छोड़ा, उस वक्त जेट एयरवेज पर केनरा बैंक का 538.62 करोड़ रुपये का लोन बकाया था. केनरा बैंक ने आरोप लगाया था कि जेट एयरवेज की फोरेंसिक ऑडिट में 'रिलेटेड कंपनियों' को 1,410.41 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने का पता चला है. गोयल परिवार पर आरोप लगे कि वे पर्सनल खर्च के लिए जेट एयरवेज के अकाउंट से पैसे निकालते थे.

ED ने नरेश गोयल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 1 सितंबर 2023 को गिरफ्तार किया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 6 मई को नरेश गोयल को 2 महीने की अंतरिम जमानत दे दी है. पत्‍नी के स्‍वास्‍थ्‍य कारणों का हवाला देते हुए गोयल ने कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी. वे 2 महीने जेल से बाहर रहेंगे.

एयरलाइन के फिर से शुरू होने का इंतजार

दूसरी ओर, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के बैंकरप्सी रेजोल्यूशन प्रोसेस के तहत जालान​​​-​कालरॉक (Jalan-Kalrock) कंसोर्टियम ने जेट एयरवेज की बोली जीती थी, लेकिन अब तक एयरलाइन शुरू नहीं हो पाई है. जून 2021 के बाद से ही ये प्रक्रिया चल रही है.

ये कंसोर्टियम मुरारी लाल जालान और कालरॉक कैपिटल की जॉइंट कंपनी है. जालान दुबई बेस्ड बिजनेसमैन हैं, जबकि कालरॉक लंदन बेस्ड ग्लोबल फर्म है.

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