जिन भारतीय मसालों से हांगकांग और सिंगापुर को आपत्ति है, उन्हीं मसालों से अमेरिका को कोई दिक्कत नहीं है. मामला भारतीय मसाला ब्रैंड MDH और एवरेस्ट के उन प्रोडक्ट्स से जुड़ा है, जिनमें स्वीकार्य सीमा (Permissible Limits) से ज्यादा 'एथिलीन ऑक्साइड' पाए जाने के बाद हाॅन्गकाॅन्ग और सिंगापुर ने बैन लगा दिया था.
'एथिलीन ऑक्साइड' (जो कि एक तरह का 'पेस्टिसाइड' है) की ज्यादा मात्रा के चलते दोनों एशियाई देशों ने पिछले महीने फूड सेफ्टी रेगुलेशंस का हवाला देते हुए इन प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अब अमेरिकन स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन (ASTA) ने कहा है कि अमेरिका (US) में मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (EtO) के इस्तेमाल की अनुमति है. ASTA ने इससे आगे बढ़कर कहा कि फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स के अनुपालन में इसकी अहम भूमिका है.
अमेरिकी मसाला इंडस्ट्री बॉडी (ASTA) ने भारतीय मसाला बोर्ड (Spices Board of India) को लिखे पत्र में इस बात पर जोर दिया है कि एथिलीन ऑक्साइड, अमेरिका में एक अप्रूव्ड एंटीमाइक्रोबियल (रोगाणुरोधी) फ्यूमिगेंट है, जिसमें जड़ी-बूटियों और मसालों (तुलसी को छोड़कर) के लिए एथिलीन ऑक्साइड (EtO) और इसके बायप्रोडक्ट्स (Ethylene Chlorohydrin/2 Chloroethanol) के लिए पर्याप्त टोलरेंस है.
एथिलीन ऑक्साइड को वर्तमान में अमेरिका में मसालों में उपयोग की अनुमति है और इस पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिकी फूड सेफ्टी नियमों के साथ भारतीय मसालों के अनुपालन को लेकर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है.अमेरिकन स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन (भारतीय मसाला बोर्ड को लिखे गए पत्र में)
ASTA के पत्र के मुताबिक, अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (US-FDA) और अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) दोनों ने निष्कर्ष निकाला है कि एथिलीन ऑक्साइड ट्रीटेड मसालों का सेवन सुरक्षित है.
दरअसल, मसालों के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. भारतीय मसाला बोर्ड के मुताबिक, वर्ष 2022-23 में भारत ने 4 बिलियन डॉलर के मसाला प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए. एवरेस्ट और MDH दोनों ही इंडस्ट्री में बड़ा ब्रैंड हैं. इस विवाद से भारतीय मसाला इंडस्ट्री पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. अगर अन्य देश भी सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के स्टैंडर्ड को फॉलो करें तो इसका बड़ा असर पड़ सकता है.