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राज बब्बर (Raj Babbar) की गिनती कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेताओं में की जाती है. राज बब्बर राजनीति में आने से पहले फिल्मी दुनिया में अपना सिक्का जमा चुके थे. राज बब्बर तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे चुके हैं और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. यूपी के आगरा में 23 जून 1952 को जन्में राज बब्बर (Raj Babbar) ने अपनी शुरुआती पढ़ाई आगरा के फैज-ए-आम इंटर कॉलेज से की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में राज बब्बर फतेहपुर सीकरी से चुनावी मैदान में हैं. राज बब्बर ने ग्रेजुएशन आगरा कॉलेज से पूरा किया और वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के भी छात्र रहे हैं. दिल्ली में एनएसडी से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद बब्बर मुंबई चले गए और रीना रॉय के साथ उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. उन्हें असली पहचान इंसाफ का तराजू फिल्म से मिली. राज बब्बर के लिए चुनाव 2019 (Elections 2019) काफी अहम माना जा रहा है. बब्बर ने अपने करियर में कई फिल्में कीं. उन्होंने निकाह, आज की आवाज, किस्सा कुर्सी का, अगर तुम न होते, दलाल और याराना जैसी कई फिल्मों में अपनी बेहतरीन अदाकारी का परिचय दिया. राज बब्बर ने नादिरा जहीर से शादी की. इन दोनों के दो बच्चे आर्या बब्बर और जूही बब्बर हैं. बाद में उन्होंने स्मिता पाटिल से शादी की. स्मिता और राजबब्बर के बेटे का नाम प्रतीक बब्बर है. सिनेमा से कैसे सियासत में पहुंचे राज बब्बर 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने गाजियाबाद से चुनाव लड़ा, लेकिन वह बीजेपी के जनरल वीके सिंह से चुनाव हार गए. इसके बाद उन्हें यूपी कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. इस चुनाव में वह फतेहपुर सीकरी से मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं. राज बब्बर पहली बार सियासी तौर पर चर्चा में तब आए थे जब उन्होंने 2013 में कहा था कि मुंबई में एक आम आदमी 12 रुपए में भरपेट खाना खा सकता है. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत का गरीब आदमी दो बार का खाना 28 और 32 रुपए में खा सकता है. हालांकि बाद में उन्होंने अपने इस बयान के लिए अफसोस जताया था. 2013 में उन्होंने तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी की तुलना एडोल्फ हिटलर से की थी. |
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