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कुल सीटें- 2

त्रिपुरा लोकसभा चुनाव परिणाम 2019

त्रिपुरा (Tripura Lok Sabha Election Results 2019) में अतीत में वामपंथी दलों का खासा दबदबा रहा है, लेकिन BJP अब कड़ी टक्कर देने लगी है. त्रिपुरा लोकसभा चुनाव 2019 की चुनावी जंग के बाद सभी लोकसभा सीटों के बारे में विस्तार से जानकारी के लिए स्क्रॉल करें.

चुनाव क्षेत्रअग्रणी प्रत्याशीपार्टीस्थिति
त्रिपुरा पूर्वरेबती त्रिपुराबीजेपीजीते
त्रिपुरा पश्चिमप्रतिमा भौमिकबीजेपीजीते

त्रिपुरा के बारे में

त्रिपुरा में दो लोकसभा सीटें हैं और यहां भी आम चुनाव 2019 की लड़ाई सभी पार्टियों के लिए बेहद खास मानी जा रही है. जहां एक ओर बीजेपी विधानसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहती है, वहीं दूसरी ओर वामदल अपने दबदबे को कायम रखने में लगे हुए हैं. दरअसल, पिछले साल त्रिपुरा (Tripura Lok Sabha Election Results 2019) में हुए विधानसभा चुनाव बड़ा परिवर्तन दिखा, क्योंकि सत्ता कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ से फिसल कर बीजेपी के पास पहुंच गई. अब सवाल है कि क्या त्रिपुरा लोकसभा चुनाव 2019 में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलेगा. त्रिपुरा चुनाव 2019 (Tripura elections 2019) के लिए 18 अप्रैल को मतदान होना है. 2014 के आम चुनाव की बात की जाए तो त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट सीपीआई के शंकर प्रसाद दत्ता ने जीत दर्ज की थी. शंकर ने कांग्रेस को कंडीडेट अरुणोदय साहा मात दी थी. इस बार भी शंकर चुनावी मैदान में है और उन्हें मुकाबले बीजेपी ने प्रतिमा भौमिक, कांग्रेस ने सुबल भौमिक को टिकट दिया है. वहीं त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट पर 2014 में सीपीआई के जितेंद्र चौधरी ने जीत हासिल की थी.

बीजेपी ने उखाड़ फेंकी 25 साल की सत्ता
वर्ष 2018 में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों ने इतिहास रच दिया, जब बीजेपी ने 25 वर्षों से राज्य की सत्ता पर काबिज वामपंथी दल सीपीएम को बेदखल कर दिया. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सर्वाधिक 35 सीट और उसकी सहयोगी पार्टी इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने 8 सीट जीती थी तो सत्ताधारी सीपीएम को सिर्फ 16 सीटें नसीब हुईं थीं. जिसके बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ मिलकर त्रिपुरा में सरकार बनाई. इस वक्त बिप्लब देब त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री हैं.त्रिपुरा ईस्ट लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 

देश के उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित त्रिपुरा अपने जनजातीय इतिहास के लिए जाना जाता है. 10491 वर्ग किमी में फैला त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है. इसके उत्तर-पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है तो पूर्व में असम और मिजोरम जैसे राज्य हैं. त्रिपुरा की जनसंख्या 36,73,917 है. इस राज्य का गठन 21 जनवरी 1972 को हुआ. इतिहास पर नजर डालें तो इसकी स्थापना 14 वीं शताब्दी में माणिक्य नामक आदिवासी नेता ने की थी, जो हिंदू धर्म को मानते थे.1808 में ब्रिटिश शासन ने इस पर कब्जा किया तो 1956 में यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ. राज्य में विधानसभा की 60 सीटें हैं तो राज्यसभा की एक और लोकसभा की दो सीटें हैं. त्रिपुरा में एक सदनीय व्यवस्था है.

त्रिपुरा का अपना पुराना इतिहास है. यह अपनी जनजातीय संस्कृति के लिए जाना जाता है. महाभारत और पुराणों में भी त्रिपुरा का जिक्र मिलता है.आजादी के बाद भारतीय गणराज्य में विलय होने के पूर्व त्रिपुरा में राजशाही व्यवस्था थी. पहले उदयपुर इसकी राजधानी थी, बाद में 18 वीं सदी में राजधानी को पुराने अगरतला स्थानांतरित किया गया और फिर 19 वीं सदी में नए अगरतला को राजधानी बनाया गया. वर्ष 1971 में त्रिपुरा में उस वक्त संकट छाया, जब बांग्लादेश के निर्माण के बाद यहां सशस्त्र संघर्ष छिड़ गया. यह संघर्ष बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ हुआ. 

एक नजर में
वर्तमान सांसद- त्रिपुरा ईस्ट सीट से सीपीएम से जितेंद्र चौधरी,  त्रिपुरा वेस्ट से भाकपा(मार्क्सवादी) से शंकर प्रसाद दत्ता
कुल वोटर- राज्य में कुल वोटर 2598290 हैं. 

कब होगा मतदान- पश्चिमी त्रिपुरा सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होगा, वहीं पूर्वी त्रिपुरा सीट पर 18 अप्रैल को मतदान होगा. त्रिपुरा मे बीजेपी के सहयोगी दल आईपीएफटी ने राज्य की दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतार कर परेशानी बढ़ा दी है. ईस्ट त्रिपुरा सीट एससी-एसटी के लिए आरक्षित है.

कुल जिले- त्रिपुरा में पहले केवल चार जिले थे. ये जिले थे धलाई, पश्चिम त्रिपुरा, उत्तर त्रिपुरा और दक्षिण त्रिपुरा. बाद में इनसे चार और जिले बनाए गए. इस प्रकार त्रिपुरा में अब कुल आठ जिले हैं. त्रिपुरा में हिंदुओं की आबादी करीब 84 प्रतिशत है. बांग्ला यहां की मुख्य भाषा है. दुर्गापूजा प्रमुख त्योहार. 

प्रमुख पर्यटन स्थल- त्रिपुर सुंदरी मंदिर, नीरमहल, अगरतला, कमल सागर, सेफाजाला, नील महल, उदयपुर, पिलक, महामुनि

कुल सीटें- 2

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