यह ख़बर 13 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन की पेशकश ठुकराई, उपराज्यपाल से मुलाकात आज

नई दिल्ली:

दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर 'आप' का सस्पेंस बरकरार है। शनिवार को अरविंद केजरीवाल उप-राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपेंगे, जिसके बाद स्थिति साफ होगी।

इससे पूर्व आज आम आदमी पार्टी ने कहा है कि सरकार बनाने का दावा नहीं पेश करेंगे। आप नेता मनीष सिसौदिया ने आज कहा है कि आम आदमी पार्टी अपने पुराने एजेंडे पर कायम है।
 
दिल्ली विधानसभा में 28 सीटों के साथ दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस की ओर से की जा रही 'बिना शर्त समर्थन की पेशकश' शुक्रवार रात ठुकरा दी जिससे यहां राष्ट्रपति शासन के आसार नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस ने सरकार गठन के लिए आप को बिना शर्त समर्थन देने की पेशकश करते हुए उपराज्यपाल नजीब जंग को चिट्ठी लिखी है कि वह नहीं चाहेगी कि यहां की जनता पर नए चुनाव का बोझ डाला जाए।

कांग्रेस ने यह पेशकश ऐसे समय की है जब कल सरकार गठन के विषय पर आप नेता अरविंद केजरीवाल की उपराज्यपाल से सुबह साढ़े दस बजे भेंट होने वाली है।

कांग्रेस के समर्थन की पेशकश के तुरंत बाद शीर्ष आप नेताओं ने देर रात गाजियाबाद में एक बैठक की और इस पेशकश को ठुकराने का निर्णय लिया।

आप की राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य और नवनिर्वाचित विधायक मनीष सिसोदिया ने इस बैठक के बाद कहा, 'हम (सरकार नहीं बनाने के) अपने फैसले पर कायम हैं।'

जंग ने आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में सरकार बनाने के संबंध में विचार विमर्श के लिए कल बुलाया है। इस मुलाकात से पहले दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जेपी अग्रवाल ने उन्हें एक पत्र भेजकर आप को अपने आठ विधायकों का समर्थन देने की बात कही, ताकि शहर में नई सरकार बन सके। हालांकि आप के नेता प्रशांत भूषण ने तत्काल कांग्रेस की इस पेशकश को स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा कि पार्टी किसी को समर्थन देने या लेने के हक में नहीं है।

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अग्रवाल ने कहा, 'हमने आप को बिना शर्त समर्थन देने का फैसला किया है ताकि वह सरकार बना सके। दिल्ली की जनता को सरकार मिलनी चाहिए। अब यह आप की जिम्मेदारी है कि वह सरकार का गठन करे।' लेकिन, आप नेता प्रशांत भूषण ने इससे तुरंत इकार करते हुए कहा, 'हम समर्थन को स्वीकार करने वाले नहीं हैं।'

गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 28 सीटें आई हैं और उनके पास बहुमत से आठ सीटें कम हैं। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत नहीं होने पर उसने भी सरकार बनाने से मना कर दिया है।