खास बातें
- पंजाब में अकाली दल के 84 वर्षीय नेता प्रकाश सिंह बादल बुधवार को मोहाली कस्बे के ऐतिहासिक सिख स्मारक स्थल चप्पाड़ चिरी पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
चण्डीगढ़: पंजाब में अकाली दल के 84 वर्षीय नेता प्रकाश सिंह बादल बुधवार को मोहाली कस्बे के ऐतिहासिक सिख स्मारक स्थल चप्पाड़ चिरी पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के रूप में उनका पांचवां कार्यकाल शुरू हो जाएगा।
बादल इससे पहले 1969, 1977, 1997 एवं 2007 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। इस तरह वह लगभग 14 वर्ष तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटील बादल के साथ ही उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को भी शपथ दिलाएंगे। सुखबीर को फिर से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना है।
बादल ने परिहास के अंदाज में कहा, "मैं 1969 में देश में सबसे युवा मुख्यमंत्री बना था और अब मैं देश में सबसे बूढ़ा मुख्यमंत्री बनने जा रहा हूं।"
शपथ ग्रहण समारोह के लिए ऐतिहासिक चप्पाड़ चिरी स्मारक स्थल पर बने देश के सबसे ऊंचे फतेह बुर्ज के परिसर को चुना गया है। फतेह बुर्ज 328 की ऊंचाई फीट है, यानी यह बुर्ज दिल्ली की कुतुब मीनार से भी ऊंचा है।
फतेह बुर्ज सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर की स्मृति को समर्पित है, जिन्होंने वजीर खान की मुगल सेना को हराकर सिख राज्य की स्थापना की थी।
बंदा सिंह ने मुगलों से यह लड़ाई सिख सम्प्रदाय के 10वें गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटों, सैकड़ों अन्य सिखों और हिंदुओं की हत्या का बदला लेने के लिए ठानी थी। पिछले वर्ष नवम्बर में यह बुर्ज जनता को समर्पित किया गया था।
शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य नेताओं के भाग लेने की संभावना है।
आमंत्रणपत्र पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को भी भेजा गया था लेकिन ये दोनों अपने राज्य में अन्य कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण स्वयं उपस्थित न होकर अपने-अपने प्रतिनिधि को भेजेंगी। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार का पहुंचना भी तय माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने अनिच्छा जताई है।
गत शुक्रवार को प्रकाश सिंह बादल को शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन विधायक दल का नेता चुना गया था।
उल्लेखनीय है कि 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा के लिए 68 सीटें जीतकर इस गठबंधन ने बहुमत हासिल कर ली है। अकाली दल को 56 और भाजपा को 12 सीटें मिली हैं। सत्ता विरोधी लहर चलने का ख्वाब संजोए कांग्रेस को मात्र 46 सीटों से संतोष करना पड़ा।