यह ख़बर 06 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मणिपुर में कांग्रेस ने बनाई जीत की हैट्रिक

खास बातें

  • राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 39 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं, जबकि विपक्षी दलों का गठबंधन काफी पीछे रह गया।
इम्फाल:

मणिपुर में कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की है। निर्वाचन आयोग के शाम 6.15 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 39 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं, जबकि विपक्षी दलों का गठबंधन काफी पीछे रह गया।

तृणमूल कांग्रेस ने सात सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी (एमएससीपी) के खाते में चार सीटें गई हैं। नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने तीन सीटें जीती हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) एक-एक सीट हासिल करने में कामयाब रही।

मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह थौबल सीट से जीत गए हैं। उत्साहित समर्थक जीत का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इंदिरा ओनाम को 15,000 मतों के अंतर से हराया।

इबोबी की पत्नी लंधोनी देवी भी खंगाबोक विधानसभा क्षेत्र से जीत गई हैं। उन्होंने मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) के उम्मीदवार जातरा सिंह को नौ हजार मतों के अंतर से हराया। यह पहले मुख्यमंत्री की सीट थी।

विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है। राकांपा के राधाविनोद कोईजाम और एमपीपी के ओ. जॉय सिंह तथा चाओबा सिंह चुनाव हार गए हैं।

इबोबी सिंह पूर्वोत्तर में हाल के समय में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री होंगे। इससे पहले यह रिकॉर्ड असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के नाम था।

गोगोई ने जहां 2001, 2006 व 2011 में पार्टी को असम में सत्ता दिलाई थी, वहीं इबोबी सिंह इससे पहले 2002 व 2007 में मणिपुर में अपनी पार्टी को सत्ता दिला चुके हैं।

हींगेंग निर्वाचन क्षेत्र से जीत चुके मणिपुर कांग्रेस के प्रवक्ता एन. बिरेन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में अगली सरकार बनाने जा रही है। उन्होंने कहा, "इस बार हम 35 से कम सीटें नहीं जीतने जा रहे हैं।"

कांग्रेस को इस बार राज्य में कड़ी टक्कर देने की कोशिश हुई थी। कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए कम से कम 11 गैर-कांग्रेसी पार्टियों का गठबंधन बना था। इनमें राकांपा, एमपीपी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), जनता दल-युनाइटेड, नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी), एमएससीपी, तृणमूल कांग्रेस, लोजपा, भाजपा और एनपीएफ शामिल हैं।

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राज्य में सक्रिय कम से कम सात उग्रवादी संगठनों ने भी कांग्रेस पर प्रतिबंध लगाया था। 28 जनवरी को हुए मतदान से पहले उग्रवादियों ने कांग्रेस उम्मीदवारों तथा समर्थकों पर कई हमले भी किए।