यह ख़बर 06 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

प्रचंड बहुमत हासिल कर सपा ने लिखी नई इबारत

खास बातें

  • समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल बहुजन समाज पार्टी से हिसाब बराबर करते हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर अपनी कामयाबी की नई इबारत लिख डाली।
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने शानदार वापसी की है। उसने 226 सीटें जीत ली है जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 80 सीटों तक सिमट गई है। भाजपा 47 और कांग्रेस 38 सीटें पाकर तीसरे और चौथे स्थान पर है। 12 सीटें अन्य उम्मीदवारों को मिली हैं।

सपा की इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव को दिया जा रहा है, जिन्होंने कड़ी मेहनत की और पार्टी का रंगरूप बदलने में अहम भूमिका निभाई लेकिन यह लगभग साफ हो गया है कि मुलायम सिंह यादव ही मुख्यमंत्री बनेंगे।

सुबह जैसे ही मतदान आरम्भ हुआ उसी समय से साइकिल ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की उसने बहुमत के लिए आवश्यक 202 के जादुई आंकड़े को पार कर ही दम लिया और वह फिलहाल 226 सीटें जीतकर इतिहास रचने के करीब पहुंच गई। इसके विपरीत हाथी की चाल शुरू से ही सुस्त रही और जैसे-जैसे नतीजे सामने आए वह 80 के आंकड़े पर पहुंचकर बेदम हो गई। अनुमान लगाया गया था कि सपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी लेकिन यह अनुमान सपा नेताओं को भी नहीं था कि वह 220 के आंकड़े को पार करेगी।

वर्ष 2007 में चुनाव में कुल 97 सीटें जीतने वाली सपा के इस प्रदर्शन ने राजनीतिक पंडितों को चौंका कर रख दिया। वहीं बसपा, जिसने पिछले चुनाव में शानदार 206 सीटें जीतकर पहली बार अपने दम पर सरकार बनाई थी, उसका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।

सपा को मिली भारी जीत के लिए जनता को धन्यवाद देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जनता ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर सपा पर विश्वास व्यक्त किया है। उनकी पार्टी की सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करेगी। उन्होंने कहा, "सपा सरकार बनाने के बाद अपना पूरा का पूरा घोषणापत्र लागू करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश खुशहाली और विकास के रास्ते पर जा सके।"

अखिलेश ने कहा, "कल (बुधवार) पार्टी संसदीय दल की बैठक होगी। बैठक के बाद तय होगा कि सरकार बनाने का दावा कब पेश किया जाए।"

समर्थन के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने साफ कहा, "हम किसी माफिया का समर्थन नहीं लेंगे।" उन्होंने कहा, "कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे पर हमें पूरे चुनाव के दौरान जनता को सफाई देनी पड़ी, लेकिन हम जनता को भरोसा दिलाते हैं कि सपा की सरकार में जो व्यक्ति कानून तोड़ेगा उसके खिलाफ कठोर कारवाई की जाएगी।"

अखिलेश ने कहा, "न तो किसी हाथी की मूर्ति को छेड़ा जाएगा और न ही मुख्यमंत्री मायावती की किसी मूर्ति को तोड़ा जाएगा। हमारी सरकार बदले की भावना के तहत कारवाई नहीं करेगी।" उन्होंने यह भी कहा, "अगर पार्कों और स्मारकों की खाली पड़ी जगह में शिक्षण संस्थान या अस्पताल खुल जाएं तो इससे लोगों को फायदा होगा।"

मुख्यमंत्री कौन बनेगा, के सवाल पर अखिलेश ने कहा, "पूरी पार्टी यही चाहती है कि नेता जी (मुलायम) मुख्यमंत्री बनें, इसलिए वही बनेंगे।"

चुनाव में प्रदर्शन से निराश भाजपा के लिए हालांकि तीसरे स्थान पर आना राहत की बात हो सकती है, लेकिन प्रदेश की राजनीति में पूरी तैयारी के साथ अपने 'युवराज' राहुल गांधी को उतारने वाली कांग्रेस के लिए परिणाम बहुत बड़ा झटका है।

कांग्रेस रायबरेली जिले की सभी सीटों पर पराजित हो चुकी है। रायबरेली पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है।

राहुल गांधी ने कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है। साथ ही राहुल ने यह भी कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की बुनियाद कमजोर है जबकि हवा समाजवादी पार्टी (सपा) के पक्ष में थी।

राहुल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मैं लड़ा, इसलिए यह जिम्मेदारी मेरी है। हमने अच्छी लड़ाई लड़ी लेकिन परिणाम अच्छे नहीं रहे।" उन्होंने कहा, "मैंने उत्तर प्रदेश के लोगों से वादा किया था कि मैं गरीबों के साथ और सड़कों पर दिखूंगा। मेरा काम जारी रहेगा। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मेरे प्रयास जारी रहेंगे।"

राहुल ने पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के कारणों पर कहा कि इस बारे में तत्काल कुछ नहीं कहा जा सकता। "एक या दो कारण बहुत स्पष्ट हैं। कांग्रेस की प्रदेश में बुनियाद कमजोर है। जब तक हम इसे ठीक नहीं करेंगे, कमजोरी बनी रहेगी।" उन्होंने कहा, "लोगों का मूड सपा के पक्ष में था, जो हमारे लिए अच्छा नहीं है और उत्तर प्रदेश की जनता के लिए भी अच्छा नहीं है।"

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश के नतीजों को उम्मीद के विपरीत जरूर बताया लेकिन साथ ही कहा कि वहां सपा को प्रमुख विपक्षी दल होने का फायदा मिला।

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गडकरी ने यहां संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में दो दलों के बीच वोटों का ध्रुवीकरण हो गया। बसपा के खिलाफ माहौल था, जिसका फायदा उठाने में सपा सफल रही। जब दो पार्टियों के बीच वोटों का ध्रुवीकरण होता है तो नतीजे ऐसे ही आते हैं। यहां उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले।"