खास बातें
- पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के खेमे ने साफ कर दिया कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी नहीं छोड़ेंगे लेकिन इस बात का संकल्प जताया कि वह यह लड़ाई पार्टी के भीतर ही लड़ेंगे।
नई दिल्ली: कांग्रेस को उत्तराखंड में विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के खेमे ने साफ कर दिया कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी नहीं छोड़ेंगे लेकिन इस बात का संकल्प जताया कि वह यह लड़ाई पार्टी के भीतर ही लड़ेंगे।
ऐसा समझा जाता है कि मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी को खारिज किए जाने के बाद रावत ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बैठक की जिसमें भावी कार्रवाई की रणनीति तैयार की गई। उस बैठक में उत्तराखंड में पार्टी के 32 विधायकों में से अच्छी खासी संख्या में विधायक मौजूद थे।
विजय बहुगुणा के शपथ ग्रहण समारोह से रावत समर्थकों की गैर-मौजूदगी से ऐसा समझा जाता है कि कांग्रेस चिंतित है।
नवनिर्वाचित विधायकों में से एक ने कहा कि नई सरकार 10-15 दिन भी नहीं चलेगी।
हरीश रावत ने कहा कि उनकी कांग्रेस छोड़ने की कोई योजना नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री पद पर अपने दावे के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस कार्यकर्ता हूं और कांग्रेस के मंच के भीतर अपनी शिकायतों के निवारण की मांग करूंगा।’ हालांकि, उन्होंने अपनी भावी कार्रवाई के बारे में बताने से इनकार कर दिया।
रावत का समर्थन कर रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक हरक सिंह रावत ने भी साफ-साफ कहा कि उत्तराखंड में नई सरकार का भविष्य बहुत अंधकारमय है। यह सिर्फ 10-15 दिन ही चल सकती है।