'केजरी की आंधी' में उड़ गया मोदी का 'विजय रथ', किरण बेदी भी नहीं बचा पाईं 'सबसे सुरक्षित' सीट

नई दिल्ली : दिल्ली की गद्दी पर अरविंद केजरीवाल इस बार ऐसे बहुमत के साथ बैठने जा रहे हैं, जो अब तक किसी को नसीब नहीं हुआ और जिसकी कल्पना उन्होंने खुद भी नहीं की थी। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 में एसी अभूतपूर्व जीत हासिल की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों के बावजूद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सिर्फ तीन सीटों पर सिमटती दिखाई दे रही है और कांग्रेस तो पूरी तरह साफ हो गई है।

मोदी के लिए रायशुमारी माने जा रहे इस चुनाव में आप ने बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों को उनके ही गढ़ में करारी शिकस्त देकर एक नई इबारत लिख दी। वहीं बीजेपी नेताओं ने चुनावी हार को 'झटका' मानते हुए इसे स्वीकार किया, लेकिन इन सुझावों को मानने से इनकार कर दिया कि ये परिणाम मोदी सरकार के प्रदर्शन पर जनादेश हैं।

आप द्वारा हासिल की गई यह उपलब्धि दिल्ली के लिए अपने आप में कीर्तिमान है। विगत में शायद ही किसी राज्य में ऐसा देखने को मिला हो। केवल 1989 में सिक्किम संग्राम परिषद ने विधानसभा की सभी 32 सीटें जीती थीं।

राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी और आप के चुनावी समर के चेहरा बने अरविंद केजरीवाल ने खुद नई दिल्ली विधानसभा सीट से अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी की नुपुर शर्मा को 31500 मतों के भारी अंतर से हराया। इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी किरण वालिया को महज 4700 वोट मिले और वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पायीं।

चुनाव परिणाम आने के बाद हुई आप की विधायक दल की बैठक में केजरीवाल को नेता चुना गया। इस बीच, 'आप' नेता आशुतोष ने जानकारी दी है कि पिछले साल 14 फरवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अरविंद केजरीवाल इस बार 14 फरवरी को ही शपथ ग्रहण करेंगे। माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन इस बार भी रामलीला मैदान में किया जाएगा।

बीजेपी के लिए सबसे बड़ा झटका उसकी मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशी किरण बेदी का पारंपरिक रूप से बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली कृष्णानगर विधानसभा सीट से हार जाना रहा। उन्होंने यह सीट दो हजार से अधिक मतों से गंवाई। इस सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता हषर्वर्धन कई बार भारी अंतर से जीतते रहे हैं।

वहीं दिल्ली में मतदान के रूझान में आप की शानदार जीत के संकेत मिलने के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल को फोन कर जीत की बधाई दी। उन्होंने केजरीवाल को आश्वासन दिया कि दिल्ली के विकास में केंद्र पूरा सहयोग देगा।

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कांग्रेस के प्रचार समिति के प्रमुख अजय माकन को सदर बाजार सीट पर राजनीति में नए नवेले 'आप' के उम्मीदवार सोमदत्त के हाथों 50 हजार वोटों से अधिक के अंतर से भीषण पराजय झेलनी पड़ी। उनके लिए यह पराजय इसलिए भी भारी पड़ गई, क्योंकि वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। माकन ने चुनावी हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया।

इस चुनावी समर में हार झेलने वालों में बीजेपी नेता जगदीश मुखी, रामवीर सिंह बिधूड़ी एवं कृष्णा तीरथ और कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मंत्री ए के वालिया, हारून यूसुफ, चौधरी प्रेम सिंह एवं राजकुमार चौहान शामिल हैं। कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा भी इस बार चुनाव हारने वालों में शामिल हैं।

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आप की इस विजय ने सिक्किम संग्राम पार्टी द्वारा विधानसभा की सभी 32 सीटों के जीतने और 2010 में जदयू-भाजपा गठबंधन द्वारा बिहार विधानसभा की 243 में 206 सीटें जीते जाने की याद ताजा कर दी।

तमिलनाडु के 1991 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक.कांग्रेस गठबंधन ने राज्य की 234 में से 225 सीटें जीती थीं जबकि डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में 234 में से 221 जीती थीं

दिल्ली में वर्ष 1993 से विधानसभा में सीटों की साझेदारी इस प्रकार रही :

               भाजपा    कांग्रेस    आप

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1993           49         14          -
1998           15          52         -
2003           20          47         -
2008           23          43         -
2013           31           8         28
2015            3            0         67